Deeपक Paरस   (©Deepak Chourasia)
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2 MAY AT 8:54

वही कुछ घिसी-पिटी बात,
धड़कन बढ़ाने वाले जज़्बात,
कहूॅं या ना कहूॅं वाले हालात,
तुम समझ रहे हो ना?

— % &वही बस मन की थकान,
ख़्वाबों के ऊॅंचे मकान,
इस दिल का खाली दुकान,
तुम समझ रहे हो ना?— % &वही कि हो ना जाए देरी,
सीधी बातों में हेरा-फेरी,
वो खोने के‌ डर की बेड़ी,
तुम समझ रहे हो ना?— % &वही ज़ुल्फों के इशारे,
मन बस एक नाम पुकारे,
वो ही जीते हम हारे,
तुम समझ रहे हो ना?— % &वही एक चोर सा मन,
दूरी चुभे क्षण-क्षण,
और वश में ना हो यौवन,
तुम समझ रहे हो ना?— % &

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30 APR AT 10:07

डूबती कश्ती को किनारा मिल ही गया,
जो प्यार खोया तो सहारा मिल ही गया,
बंज़ारा बनना भी कोई दस्तूर ही होगा,
जो घर छोड़ा वो दोबारा मिल ही गया।

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29 APR AT 12:23

महफ़िल से मेरी रूख़सत की परवाह न कर,
ज़िन्दगी जाती है पर जाने‌ की आगाह न कर,
हसरतें टूट गई ग़म न है महबूब मेरे,
छोड़ जा इश्क़ की यादें पर उन्हें तबाह न कर।

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28 APR AT 0:14

Walk away in silence,
No lies, no truths,
No explanations,
No drama,
Just leave
like shadow leaves in darkness,
Let it be a sudden death,
To bear, to hear,
there's no more patience,
Walk away in silence.

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23 APR AT 16:39

You seem family, more than a friend,
You seem home, more than wonderland,
You seem closer like tattoo on your hand,
It now feels different with you.— % &You seem a dream, to be never awaken,
You seem destiny, to be never shaken,
You seem the truth, to be never broken,
It now feels different with you.— % &You seem transparent, a solved puzzle,
You seem knowledge, a constant drizzle,
You seem real, a hard earned hustle,
It now feels different with you.— % &It happens every day and every night,
I hold onto our conversations very tight,
A constant feeling of glee feels right,
It now feels different with you.— % &

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23 APR AT 8:47

ख़्वाबों को ख़्वाब है ऐसे बताया न करो,
दूर जाओ तो ऐसे कि दिल दुखाया न करो,
वक़्त लगता है तो लगने दो तुम्हें भुलाने में,
मेरे कमरे में बग़ैर इश्क़ खटखटाया न करो।

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22 APR AT 22:47

ख़फ़ा हैं वो मेरी बे-दिली से ज़रा,
ख़फ़ा हैं वो इस ज़िन्दगी से ज़रा।

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22 APR AT 11:32

a celebration of survival,
some shortcomings needing revival,
and revisiting lanes of thoughts archival.

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22 APR AT 10:36

सोचो कि एक सुबह हो,
आधी काली, आधी लाल,
आधी सुस्त, आधी कमाल,
दिल में उमंग हो, मन में मलाल,
और आस-पास बस मकड़ मायाजाल।— % &सोचो कि एक दोपहर हो,
आधी सोयी, आधी फरार,
आधी मनमौजी, आधी ज़ार-ज़ार,
पैरों पर खून हो, गले पर तलवार,
और आस-पास बस हाहाकार।— % &सोचो कि एक शाम हो,
आधी हसीन, आधी उदास,
आधी बे-ग़ैरत, आधी ख़ास,
हाथों में ज़ाम हो, ज़ुबां पे तलाश,
और आस-पास बस जलती लाश।— % &सोचो कि एक रात हो,
आधी मदहोश, आधी परेशान,
आधी यायावरी, आधी सुनसान,
कलेजे में ठंड हो, ऊपर भगवान,
और आस-पास बस बवंडर व तूफ़ान।— % &सोचो कि सब एक दिन एक साथ हो,
आधी अफ़वाहें, आधी सच्ची बात हो,
आधी जंग जीती, आधी में मात हो,
कानों में मधुर संगीत, नैनों में बरसात हो,
और आस-पास बस सुबह दोपहर शाम व रात हो।— % &

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3 SEP 2022 AT 23:20

बोझ

//अनुशीर्षक में पढ़ें//

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