मेरा गांव मुझे गांव सा नहीं शहर सा लगता है
मेरा गांव मुझे गांव सा नहीं मेरे घर सा लगता है,
हर खुशी मिलती है यहां आने के बाद
हर कोई पूछता है तकलीफ,
बढ़ाता है मदद को हाथ।
प्रकृति से जुड़े रहते है हम,
शुद्ध वातावरण है हम गांव वालों के पास
साफ सुथरी साँस लेते है हम,
नदिया बहती कल कल करती हमारे पास।
बाग बगिया, खेत खलिहान,
पक्षी चहचहाते रहते है,
बाकी पशु शान्त हैं रहते,
बस बन्दर शोर मचाते हैं।
मंदिर '84 मन के घंटे' का,
शिव शम्भू का, बजरंग बली का
मस्जिद भी है यहां स्थापित,
नायाब नमूना है ये मेलजोल का।
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