MOKARRAM   (Ahmed...)
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Joined 15 July 2017


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22 JAN 2022 AT 21:12



बहुत मसरूफ है रातें मेरे महबूब की शायद।

मेरे ख्वाबों में भी आये उन्हें एक अरसा हो गया।।

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3 NOV 2021 AT 19:00

एक भीड़ आती है आँखों में नफ़रतें लिये।
और गिरा मस्जिदों के उसने ईमारतें दिये।।
सभी मौन रहे जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
और आँखें बंद कर के जनतंत्र जपते रहे।।

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16 JAN 2020 AT 15:24


ना गाँधी का ख़्वाब,ना भगत सिंह का इन्क़ेलाब देखा है।
मैंने जंग-ए-आज़ादी नहीं देखी पर शाहीन बाग़ देखा है।।

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23 APR 2018 AT 12:54

महसूस उसने भी की होगी मेरी साँसों की गर्मियाँ।
सर्द आहों को भी उसके सुकूँ आया होगा।।

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27 DEC 2021 AT 21:55

पूछते है वो कि ग़ालिब कौन है।
शायद शायरी से नहीं हुआ है कभी सामना उसका।

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27 DEC 2021 AT 21:49

SBI employee to customers :-

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4 DEC 2021 AT 14:46

अब तेरी आदत सी हो गयी है मुझे।
अब इसे लत कहूँ या इश्क़ बेपनाह।।

अब नहीं मुझपे है कोई बस मेरा।
अब यही इबादत है और गुनाह।।

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1 DEC 2021 AT 20:32


जीने की दुआ देकर हमको।
मरता हुआ उसने छोड़ दिया।

तासीर हुआ फिर उसका यूँ।
ना ज़िंदा रहा ना मरने दिया।।

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1 DEC 2021 AT 20:19

Girls on Tinder:- I'm not here for hookups.

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28 NOV 2021 AT 22:09


आसमानों का ख़्वाब देखने में बस एक ही दिक्कत है।

कि कोई रास्ता वहाँ तक नहीं जाता।।

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