हम वो 'परिंदे' हैं जिन्हें मंज़िल से इश्क निभाना है,
ये रस्ते बेवजह ही हमारे किस्से 'इश्तिहार' करते हैं!-
कुछ रास्ते सूने ही बेहतर लगते हैं..
उनसे कहाॅं जिंदगी के रफ्तार का मुकाबला होगा..-
दोस्त भले ही मंजिल हमारी एक हो
मगर लड़ाई अपने अपने रास्तो की है।-
मेरे शहर से जो तेरे शहर को जाता है
फासला अब वो कूछ यूँ मिटाता है
मालूम है की मिलेगा मील का पत्थर
मगर रास्ता फिर वही रास आता है
मेरे शहर से जो तेरे शहर को जाता है-
दिल का हाल तो खुदा जाने,
मसरुफ़ियत में भी कोई याद सताए..
अजीब बंदगी से घिरे हैं हम, की
मुस्तक़बिल में रास्ते अगर टकरा जाए..
तो... कैसे बात करेंगे हम !!
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अब कुछ बाकी💔नहीं हमारे दरमियां
जो था आँसू😭बनके बह गया
मैं तन्हा रह गयी🙁
और वो अपनी मंज़िल 🏃की ओर बढ़ गया....-
खुदा गवाह है
उन बीते हुए लम्हो का
जब तुमने मुझे नही बल्कि
मेरी रूह को अपना बना तक़दीर
का रास्ता मोड़ कर दिखाया था
उस वक़्त तुमने ज़िन्दगी ही नही
मेरी मंज़िल से भी मिलाया था ।।-
दोस्ती वो नही जो तुम्हारे गलत होने पर तुम्हे छोड दे
दोस्ती तो वो है जो तुम्हारे गलत रास्तों को सही राहों की पहचान दे-
रास्ते हर राह पर
बदल जाया करते हैं ...
और जिनकी मेहनत में हिम्मत हो
उन्हीं को मंजिल मिल जाया करती है ...
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रास्तों में आना जाना लगा रेहता हैं लोगों का
कुछ मिल जाते हैं कुछ खो जाते हैं यहां-