QUOTES ON #RAPECASES

#rapecases quotes

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4 SEP 2020 AT 2:00

Bilakh kar roti hai wo
Qaid hi achchi thi ,
Is azaadi SE
Azad Hui noch noch kar kha Gaye
Ye wahshi darindey ..!!

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1 OCT 2020 AT 14:54

"बलात्कार"

Read out the caption 👇👇

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22 APR 2019 AT 9:25

क्या कसूर था मेरा,
क्यों छुआ मुझे ,
और मिला क्या तुमको,
जब बलात्संग हुए मेरे,
कितना तड़पी थी मैं,
आवाज़ भी दवा दी गयी,
सबूतों के चक्कर में,
मैं भी जला दी गयी,
इसलिए........
लड़की गर्भ में मार देना ही अच्छा है,
लड़की को बचाने में समाज अभी कच्चा है।
- पटेल

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3 JUN 2020 AT 10:47

अरे! ओ इन्सानी दरिंदे इतनी भी क्या भूख थी तुझे जिस्म की जो एक लड़की की जिंदगी बरबाद करी,
चिखी , चिल्लाई तब भी उसने सुरक्षा की दुआ मांग के तेरे घर की औरतों की जिंदगी आबाद बनाई...!!!

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20 MAR 2020 AT 9:08

मेरे ख्याल से
रेप केस कम करना है तो कोर्ट में जो मुकदमा चलता है उसे live tv पर दिखाये सिर्फ रेप केस को ताकी जो वकिल ऐसे बलात्कारियों का केस लड़ते है वो झूट बोलने से डरे क्योंकि उसे बाहर निकल कर 1.5 करोड़ लोगों का सामना करना है इस से सरकार पर दबाव रहेगा और जल्दी इंसाफ मिलेगा।
और बलात्कारियों को जो फाँसी दी जाती है वो भी live दिखाया जाये फालतू के news ना दिखाये ताकी ये घर घर तक पहुचे और लोग ड़र के मारे कांप जाये।

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2 DEC 2019 AT 15:03

निंदा करने वाले बस भीड़ बनते जा रहे हैं
अब दरिंदे भी उसमें शामिल होकर मोमबत्ती जला रहें हैं।

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24 JUL 2018 AT 22:17

हवस घुली इस हवा में सांस लेना पाप लगता हैं
नारी को नारी होना कलयुग में एक श्राप लगता हैं,

मुश्किल हालातो में,पैदा होती इन वारदातो में
सिर्फ खबरे सुन सहम जाना अभिशाप लगता हैं,

न उम्र का लिहाज़ न ही कोई ख़ौफ़ का लिबास
हर रिश्ता अब यहां आस्तीन का सांप लगता हैं,

मर्यादा शब्द तो किताबी हमे थोड़े न निभानी हैं
इन्हें पाप ये कृष्ण का गोपीयो से मिलाप लगता हैं,

अस्तित्व इंसानियत का मोमबत्ती बन पिघल गया
शोर ये मुझे मर चुकी मानवता का विलाप लगता हैं,

न जाने क्यो घोंट रहे गला ये औरत की आज़ादी का
हर पहर विकलांग नज़रिये का मनाता संताप लगता हैं!

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24 AUG 2020 AT 20:38

कपड़े बदल ने से कुछ हासिल ना होगा janab....

बदल ना है, तो सोच को बदलो........

जमाना अपने आप ही बदल जाएगा.....

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22 JUN 2017 AT 21:43

And I always grew making them my books wallpaper
to reading molestation cases in the paper.

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24 JUL 2020 AT 15:35

माँ घर से पढ़ने के लिए निकली थी..
न सोचा था ये सब हो जाएगा..
वो सब आज हम पर उंँगली उठाते हैं..
माँ अब बताओ कि गलती हमारी थी..

वे सब भेड़िए हम पर इस प्रकार टूट पड़े..
जैसे शेर अपने शिकार पर पड़ता..
वो लोग न जानेगें इस दर्द को..
माँ अब बताओ कि गलती हमारी थी..

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