पसंद नहीं मुझे..
मेरे रंग पे,,
किसी और रंग का आधिपत्य...
स्वास रुद्ध होने लगता है
कुछ अंतराल पश्चात,, और मैं
हर सम्भव प्रयास कर
मुक्त हो जाती हूँ उस प्रभुत्व से ।
पर ये क्या कि
हर बार तुम्हारा प्रेम
पिछली बार से अधिक
गहरे और गाढ़े रंग का लेप
मेरे मन पे
मल जाता है!! और मैं,
एवैं.. निर्द्वंद्व.. निःसंकोच..
जीने लगती हूँ
तुम्हें,,,,
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फिर एक सदी तक।।-
ओ रंगरेज.........
इश्क का एक आठवां रंग
होना मुनासिब था..
तेरी सुस्ती ने
जहां को बस
सात रंगों में समेट दिया...।।-
कुछ ख्वाब मेरी आंखों में
तेरे हसीन ख्वाबों के संग बनते हैं __
इक हकीकत रंगों की ये भी है
कि तेरी आंखों से कई रंग बनते हैं__-
1:
कोई जैसा रंग कहे भर दूँ पनों में.
पर ये तेरी आँखों का काजल तो नहीं.
2:
कर कोई बाधा फिर से दिल में उतर जाऊं.
सियासत थोड़ी हूँ जो जुबाँ से मुकर जाऊं.
3:
तेरी इश्क कि बसीयत संभाल रखी है मैंने .
कभी मन करे तो अपने नाम करा लेना.
4:
बेवफा शहर में वफा बेच रहे हो
इश्क के मरीज हो क्या Ankur .
जो मुर्दा शहर को कफ़न बेच रहे हो-
Tera ishq ka rang kuch asa he ki,
Aab aur koi rang uss per chadhta hi nahi..!!!-
मैं रंग बनूँगी,तू पानी बन जाना।
होली के बहाने ही सही.....
आकर मुझसे मिल जाना।।-
देख कर शर्मिंदा है गिरगिट भी फ़न इंसान का ,
नादान खुद को शाह-ए-शातिर समझता था. . .
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चड़ेंगा रंग तुम्हे भी अब मेरी मोहब्बत का
तुम आना मेरे गालो पर गुलाल बन कर ❤️-
Sara saal Rang dikhate hai...
Aur Holi pe Rang lagate hai...
Hmare yaha pe log Holi iss tarah manate hai...😣
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मुल्क में सियासत कि ऐसी जंग है
मानो कश्ती भी तुफानों के संग है
कब तलक बांटोगे हमें जात पात में
रगों में दौड़ते लहू का भी एक रंग है-