कभी मिलते है एक रोज अकेली शाम कीं तरह,
तुझे चाहूंगी उस रोज मै ऱमजान कीं तरह...!!!
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Ek taraf Eid aane ki khusi bhi hain
Dusri taraf matam-e- mout bhi hain
Khauf-e- waba ke asaar bhi hain
Baazar me kafan ke khariddar bhi hain
Mushkil-e-waqt khtam hone ka intezaar bhi hain
Apno se dooriyan ikhtiyar bhi hain
Yahan har shakhs preshan bhi hain
Magar gunahon se anjaan bhi hain
Ek taraf Eid aane ki khusi bhi hain
Dusri taraf matam-e- mout bhi hain-
साल भर तड़पता रहा, वो मुफ़लिस भूख से,
आज बहुत फक्र से कहता हैं वो , रोज़े से हैं...!
: - DEEPMU - :-
मुल्क की हिफ़ाज़त करना ही, हमारी ज़िद हो जाए,
जहां मोमिन सजदें करें , वही मस्जिद हो जाए...!
: - DEEPMU - :-
वबा के कारण ,कई जानें शहीद हो गई,
ना शिफ़ा मिली ,ना मस्जिदें खुली और ईद हो गई...!
: - DEEPMU - :
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तुम्हारे भूख, प्यास और सब्र का इम्तेहान आया है।
मुबारक हो मोमिनों रहमत बनकर रमजान आया है।-
इबादत को नुमाइश बनाना नहीं चाहिए ,
किसी की मदद करो तो जताना नहीं चाहिए ,
दोस्त रिश्तेदार भूखा हो अगर ,
तो अपना दस्तरखान सजाना नहीं चाहिए...!
- : DEEPMU : --
मेरे ज़ब्त का पैमाना एक यह भी है,
मैंने सूरज को हराया है रमज़ानों में !!
میرے ضبط کا پیمانہ ایک یہ بھی ہے..
میں نے سورج کو ہرایا ہے رمضانوں میں !!-
रहमत , बरकत और इबादत लेकर माहे रहमान आ गया,
मुबारक हो मोमिनों , मोहब्बत लेकर रमज़ान आ गया...!
: - DEEPMU - :-