"सत्य की प्रतिमा राम"
आज सृष्टि पे सत्य की एक,,
अद्भुत प्रतिमा ने जन्म लिया...।
दूसरों को हर्षित रखने के लिए,,
उन्होंने स्वयं मात्र पीड़ा ही पिया...।
पिता के वचन की प्रतिष्ठा के लिए,,
उन्होंने वनवास तक स्वीकार किया...।
भव के हर्ष के लिए उसने,,
त्याग की अपनी वमंगिनी सिया...।
प्रजा की वांछा की प्रतिष्ठा के चलते,,
अंत में भी उन्हें न मिली उनकी सिया...।
उन्होंने राजधर्म निभाने के लिए,,
अपनी संतान से साक्ष्य माँग लिया...।
एक वचन की प्रतिष्ठा रखने के लिए उन्होंने,,
अपने प्राणप्रिय भ्राता का त्याग किया...।
आपना पूरा जीवन जिसने जग के हर्ष में,,
अपने सुख, अभिलाषा को मिटा दिया...।
उसी दशरथनंदन प्रभु राम ने,,
आज सृष्टि पे जन्म लिया...।
"आप सबको रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ"
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