नहीं पता
जाने क्यों
हमें रह जाना होता है
कई बार
कई जगहों पर
जहां प्रेम मिल जाता है
नहीं पता
जाने क्यों
हम वहां
रह जाना चुनते हैं।
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@chashmeindore
कितने सारे काम हम "कभी भी" कर सकते हैं
और ऐसे
कितने ही काम हम "कभी भी" नहीं करते।-
प्रेम में प्रतीक्षा है
और
प्रतीक्षा में कोलाहल
सुकून केवल मृत्यु में है।-
एक बार बुरखे में से राजनीति निकाल दीजिए
धार्मिक कट्टरता निकाल दीजिए
सामाजिक प्रतिबंध निकाल दीजिए
उसमे डाल दीजिए
स्वाभिमान, साक्षरता, व्यवसाय और मानवता
फिर देखिए
क्या जिस्म पे अब भी बुरखा रहना चाहता है!
यदि हां
तो कपड़े पहनने में कैसा संकोच!
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अपराधी, पैदा नहीं होता
वो पनपता है, हमारे समाजों में
उसे सह मिलती है, धर्मों की
उस पर साया होता है, कुटुंबों का
उसका बचाव करते हैं, परिवार वाले
और
उससे बचते फिरते हैं, कुछ मासूम
जिनका,
ना समाज होता है,
ना कौम, ना कुटुंब, ना परिवार।
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ज़रा सी देर में दिल में उतरा वो शख़्स
ज़रा सी देर में दिल से उतर गया— % &-
रात भर जागा वो ख्वाब इन आंखों में
पल भर का भी चैन लेने ना दिया
थकान ने पलकों को भारी रखा
जिम्मेदारियों ने फिर भी सोने ना दिया-
उससे दो टूक कर निशब्द कर दिया,
अपने इरादों को रखा इतना ऊंचा कि
उसके इरादों को तमाचा जड़ दिया,
अपनी मुस्तैद नियत दिखा दी और
उसके अहम को चूर चूर कर दिया ।।-
वो सर्दी की सुबह
वो पुराने दिन
वो मेरी आंखों में
ओस का पहरा
वो खुशियों की बारात
वो यादों का सहरा
और
धुंध में लिपटा हुआ तेरा चेहरा-