मेरे बिछाए हुए फूलों पर चल कर मेरी कुटिया में वो आएगे,
शबरी को विस्वास हैं कि श्रीराम मेरे घर आएगें,
मीठे मीठे बेर मेरे हाथो से वो खायेंगे,
शबरी को विस्वास हैं कि श्रीराम मेरे घर आएगें,
दो घड़ी मेरे नेत्रों के सम्मुख भी वो बितायेगे,
शबरी को विस्वास है कि श्रीराम मेरे घर आएगें,
मुझ साध्वी के सारे कर्तव्य पूर्ण हो जायेगे,
शबरी को विस्वास है कि श्रीराम मेरे घर आएगें,
-मधुमिता
-