ये फाल्गुन की तारीख के हिसाब से
मुझे इश्क़ निभाना नहीं आता...
तारीखों की गिनती में
मुझे इश्क़ से खेलना नही आता...
अगर इश्क़ ही जानना है तो
चैत्र वैशाख के मध्य में आना...
अपने गालों का लाल गुलाल
मेरे गालों पर लगा मुझे
अपने रंग में रंग जाना...
और अगर आ जाए रास तुम्हे
मेरे छुअन का एहसास...
तो नवरात्रि में तुम मुझे वो
माता की लाल चुनरी उड़ा
अपनी जोगन बना जाना...
मुझसे तुम वो पुराना सा इश्क़ निभाना
मैं देखू जो तुम्हे नज़र भर तुम अपनी
आखों को झुका कर मुस्कुराना...
मुझसे तुम वो पुराना सा इश्क़ निभाना
मुझसे तुम वो पुराना सा इश्क़ निभाना।— % &-
मैंने छोड़ दिया है लिखना कि अब लिखूं तो तुम्हारा नाम
लिख देती हु
कोई बुलाए किसी और को तुम्हारे नाम से, मैं उस पल
में तुम्हे जी लेती हू
मैंने बिठा रखा है तुम्हारी यादों को एक कमरे में,
जब खो जाती हूं तो उनसे मिल लेती हू
किफायती नहीं मोहब्बत उतनी जितनी दिखती है
जैसी जिंदगी होती है फिर वैसी भी नहीं बचती है
देखा नहीं है आरसो से तुम्हे, देखना मोहब्बत
तो नहीं, मगर मसला ये है कि मैं तुम्हारी तस्वीर
भी तो नहीं रखती हूं
मुकम्मल हो जाए अगर एक ख्वाहिश तो और
माँगने को दिल करता है अब तुम नही मिले तो
इश्क़ करने से भी डर लगता है।-
मिन्नतों से कहां इश्क़ मिलता है
टूटा हो दिल तो कहां ख़्वाब दिखता है
बेहया हो भी तुम, तो क्या गुनाह है
सम्मान से भी कहा पेट भरता है
कि फ़िज़ूल है ये सारी अदाएं उनकी
ये इश्क़ है ज़नाब, कहा सच्चा मिलता है।-
किताबों को बदलने से अच्छा था
पन्नों को पलटना...
एक शख़्स को बदलना या उसमे
ही झुलसते रहना...
जहा बातें वो छोड़ दे तो तुम्हारा
खामोशी को चुनना या बिन बात
की बातों में ही उलझना...
पर्दा हटा कर अपवित्र हो जाना
या खुद को दर्पण में निहारना...
सर्द रातों में चाँद को तकना
या खुद एक तारा बन जाना...
लम्हों को तस्वीरों में कैद करना
या आज़ादी से यादों को बुनना...
पंछियों को कैद करना या फिर
खुद को आसमान बनाना...,
क्या चुनोगे तुम, मुझ में रहना
या मुझे अपना हिस्सा बनाना।-
चलो अब तुम उठ खड़े हो जाओ या
जहां भी खड़े हो वही पर सो जाओ
मौका और मुसीबत ये तो सब बस
समय के आधीन है, तो तुम क्यों ना
मेहनत के बहाने ही कुछ कर जाओ।
शिकायतें तो हजार ढूंढ ही लोगे तुम
क्यों ना तुम सिर्फ एक कारण से ही
सफल हो जाओ, रिश्ते मजबूरी नहीं
वरदान होते है बस तुम ये बात समझ
जाओ और जो थे भी नही कभी तुम्हारे,
चलो तो तुम उनके भी फरिश्ते बन जाओ।-
Someone asked me,
What's the difference for you
For the days and the nights,
What makes you differ, while the sun is
On your head and the lower on your bed.
Why your expression is always same
while the birds chirping and the dogs barking?
Did they doesn't make you feel good or
You're the own reason of yourself of not feeling
any Goodness in any of those things,
Are you unconscious or the unconscious
Only for the feeling of happiness.
Did they doesn't make you smile ever or
the time doesn't want you to smile now?
What's your reason?-
मैने कब कहा है कि मुझसे मोहब्बत करो
बस बात इतनी है कि तुम खुश रहो।
-
एक मास का टुकड़ा हूं मैं
जिसे लोगों ने स्त्री का नाम दिया है
और मेरे साथ भी गलत हुआ है।
अनुशीर्षक में पड़े।-
गलती हर बार बस लड़की की ही होती है।
:- समाज
अनुशीर्षक में पड़े।-
Play a song...and...change
Play a song...and...change
Play a song...and...change
Until the phone die and
The peace created realises
you that no sound no lyrics
can feed your feel and just
close your eyes,see their face,
drop your tears and now
You're about to die(sleep)
that couldn't also heal your pain
but given a space and
Time to repair yourself.
"Sometimes music can't heal your pain
when you're really missing someone
and couldn't even tell them."-