Anmol Tripathi  
539 Followers · 61 Following

read more
Joined 2 October 2017


read more
Joined 2 October 2017
1 APR AT 0:32

उलझा हुआ सा मैं कहीं मसलों में रह गया हूँ ,
शेरों में रह गया हूँ मैं अब मतलों में रह गया हूँ ,
कभी पढ़ना, कभी सुनना, मुझे महसूस कर लेना,
हक़ीक़त में हूँ कहाँ, मैं अब ग़ज़लों में रह गया हूँ।


-


29 MAR AT 19:03

ज़माने लगेंगे अनमोल लिखने लिखाने में,
दर्द ज़रा ज़्यादा है, ग़ज़लों में नहीं आएगा।

-


24 MAR AT 18:59







.

-


17 OCT 2023 AT 13:23

न जाने कैसे वो आज ख़्वाब में आया,
जो क़िस्मत में आँखों की रहा ही नहीं।

-


15 JUL 2023 AT 13:31

जबसे डूबा इनमें मुझे किनारा नहीं मिला,
तुम्हारी आँखों से ये सारे समन्दर हारे हैं।

-


2 JUL 2023 AT 13:03

हम मिलेंगे कहीं किसी समानान्तर ब्रह्माण्ड में,
जहाँ विज्ञान एवं प्रेम दोनों के ही नियम भिन्न होंगे,
समय प्रेम के क्षणों में मन्द एवं क्रोध में तीव्र गति से चलता होगा,
जहाँ गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी की अपेक्षा प्रेयसी के चक्षुओं में अधिक होगा,
जहाँ दो प्रेमियों के मध्य का तापमान ब्रह्माण्ड में सर्वाधिक होगा,
प्रेम की स्वयं एक जाति होगी और कोई भी हो यदि वह प्रेम में है तो उसकी जाति केवल प्रेम होगी, जहाँ प्रेमियों को देखने मात्र से व्यक्ति प्रेम से संक्रमित हो जाता होगा, नहीं होगी जहाँ कोई विरह-कथा, कवियों की लेखनी केवल प्रेम और मिलन के गीत रचती होगी, जहाँ विज्ञान एवं कला के सभी विषयों में केवल प्रेम का परीक्षण होगा और प्रेमी प्रत्येक परीक्षा में शत प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण होगा, जहाँ प्रेम में विलोम की अवधारणा नहीं वस्तुत: केवल पर्यायवाची होंगे, सूर्य जहाँ प्रेमियों की इच्छा पर उदय होता होगा, जहाँ प्रेयसी से मिलने जाते प्रेमी की गति प्रकाश की गति से तीव्र होगी, जहाँ विज्ञान एवं समाज दोनों पूर्णतः प्रेम के नियमों में बंधकर उसकी सत्ता स्वीकार करते होंगे,
हाँ हम मिलेंगे हाथ में हाथ लिए कहीं किसी समानान्तर ब्रह्माण्ड में जहाँ विज्ञान एवं प्रेम दोनों के ही नियम भिन्न होंगे।

-


30 JUN 2023 AT 19:58

मजरूह तेरे इश्क़ में ज़माने से रहा हूँ,
तू आए तो मेरे ज़ख़्म को कोई दवा मिले।

-


30 JUN 2023 AT 19:48

बहुत कुछ हो गई हैं वक्त जैसी आदतें मेरी,
चला जाऊँ अगर इक बार तो मैं फिर नहीं मिलता।

-


30 JUN 2023 AT 13:35

आख़िरश आसमाँ से जब परिंदा थक के आएगा,
मेरी तफ़्सील में वो अब मुझे याबिस ही पाएगा ।





-


28 JUN 2023 AT 15:15

बहारें आईं और
सबको सराबोर कर गईं,
मैं इकलौता दरख़्त जो
सूखा ही रह गया ।

-


Fetching Anmol Tripathi Quotes