वक़्त ज़ाया है, ये ढूँढना मुझको,
मैं उसकी याद से निकला तो ख़ुद को न मिला।
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Anmol Tripathi
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Teacher by profession
Poet|Lyricist
Literary and performing artist
In a relationship with mus... read more
Poet|Lyricist
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Joined 2 October 2017
20 FEB AT 12:40
7 FEB AT 9:02
ये कहकर उसे शर्मिन्दगी से बचाया मैंने,
मुझे वैसे भी गुलाबों की खुशबू नहीं भाती।
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16 DEC 2024 AT 14:28
फिर लबों पर कोई बात आई ही नहीं,
मेरी आँखों ने उँगलियों को बताई ही नहीं,
वो आख़िरी था किसी कागज़ पे हाथ मेरा,
तेरे बाद कोई तस्वीर बनाई ही नहीं।
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29 MAY 2024 AT 11:00
उसे निकाल कर क़तरों में, कितने दरिया भर दिए,
न जाने कितने समन्दर अभी भी मुझको बनाने हैं।
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1 APR 2024 AT 0:32
उलझा हुआ सा मैं कहीं मसलों में रह गया हूँ ,
शेरों में रह गया हूँ मैं अब मतलों में रह गया हूँ ,
कभी पढ़ना, कभी सुनना, मुझे महसूस कर लेना,
हक़ीक़त में हूँ कहाँ, मैं अब ग़ज़लों में रह गया हूँ।
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29 MAR 2024 AT 19:03
ज़माने लगेंगे अनमोल लिखने लिखाने में,
दर्द ज़रा ज़्यादा है, ग़ज़लों में नहीं आएगा।
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17 OCT 2023 AT 13:23
न जाने कैसे वो आज ख़्वाब में आया,
जो क़िस्मत में आँखों की रहा ही नहीं।
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15 JUL 2023 AT 13:31
जबसे डूबा इनमें मुझे किनारा नहीं मिला,
तुम्हारी आँखों से ये सारे समन्दर हारे हैं।
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