आसमान से है तारें चुराना परवाज़ कर
तुझे है मुस्तक़िबल बनाना परवाज़ कर,
खुलते नहीं रोज़, दरवाज़े मोहब्बत के
तुम्हें है मुक्द्दर आज़माना, परवाज़ कर,
तेरे हक़ में, जो कर्ज़ उधार है अब तक
तुमको हैं वह सब चुकाना परवाज़ कर,
इतनी संज़ीदगी, तुम्हारे लिए ठीक नहीं
तुमको चाहिए शोर मचाना परवाज़ कर,
जल के तुम्हारे दामन से निकले खुशबू
तुम्हें आग ऐसे है लगाना, परवाज़ कर,
जो एक चमकता शय है, तेरे ख़्वाब में
हाँ तुम्हारा वही है निशाना परवाज़ कर।
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