Purushottam Prasad   (Purushottam prasad)
585 Followers 0 Following

read more
Joined 3 July 2019


read more
Joined 3 July 2019
31 MAY 2022 AT 15:49

तेरे होने से सब था,
ना होने से कुछ रहा कहां।
इस जिंदगी की सर्कस में।
ऐसा लगता है हर चीज़
बिखड़ा पड़ा है यहाँ।।

सोचा तुमसे दूर खुदको कुछ बना पाऊंगा
कहां पता था किस्मत से ही हर जाऊंगा।

बहुत अकेला सा हो गया हूं दुनियां में।
ऐसा लगता है कोई मजा ही नहीं है जीने में।

तुम होती थी तो थोड़ा खुश तो रहता था।
थोड़ा हसता था, थोड़ा लड़ता था,
लेकिन बहुत अच्छा लगता था।

अब तो लगता सिर्फ सन्नतो के ही साथ हैं।
जिंदा तो है,लेकिन जीने में कोई बात नहीं हैं।
पुरुषोत्तम प्रसाद


-


16 MAR 2022 AT 17:49

किसे बताऊं दिल ए दर्द अपनी,
खुली आंखों में आसूं छिपाए बैठा हूं।

क्या इंतकाम होती जिंदगी की,
और ना जानें कितने दर्द छिपाए बैठा हूं।

-


16 MAR 2022 AT 17:35

बहुत सारा चीज़ है,जो बिखड़ा हुआ हैं।
ये घर,परिवार, मैं और जिंदगी की हसीं।

-


8 DEC 2021 AT 0:27

कुछ यादें हैं,जिसे मैं भुलना चाहता हूँ।
कुछ लम्हें है, जिसे मैं जीना चाहता हूँ।
सिकवा नहीं मुझें इन पल दो पल से।
शिकायत भी नहीं है,मुझे मंजिल से
हासिल हुईं जो खुशियां इन राहो में।
खुश हूं मैं लिए उसे अपनी बांहों मे,


-


2 DEC 2021 AT 23:28

जिंदगी के साथ दिल का सहारा नहीं हैं।
तेरे बिना आधी हुई जिंदगी
और आधी जिंदगी हमारा नहीं हैं।

ये सफ़र और वक़्त सब बेबुनियादी है।
जीने में जुनून और तेरे आंखों का नज़ारा नहीं हैं।

-


19 NOV 2021 AT 22:48

वक्त की जंजीरों से बंधा वक्त,
सुबह की तस्वीरों से बंधा वक्त,

ये वक्त ही वक्त से दूर खरा रहा,
वक्त ही वक्त से मजबूर बना रहा

वक्त को तसल्ली कहां वक्त से,
वक्त तो उसे भी मिलता वक्त से।

वक्त मुस्किलो को वक्त बताया,
वक्त को भी वक्त ने ही सताया।

वक्त आता कहां कभी वक्त से,
वक्त को खुद तकल्लुफ है वक्त से।
पुरुषोत्तम प्रसाद



-


17 OCT 2021 AT 19:40

मेरे इश्क़ से दूर,फिर भी तुम पास हैं।
कुछ मुझे हो रहा येसा अहसास हैं।।

कुछ मेरा,मुझमें तुमसा हैं।
तेरे ना होने का गम सा हैं।

तेरी याद संग लिए जी रहा।
तेरे बिना सब कुछ भ्रम सा हैं।




-


25 SEP 2021 AT 1:16

Not easy

-


10 SEP 2021 AT 15:07

ssc/ banking aspirants subscribe my YouTube channel .. link in profile..

-


20 AUG 2021 AT 13:00

वो मोहब्बत ही क्या जिसमें नाम लेना पड़े।
तुम सिर्फ इशारा करो और मुझे पता चले।

-


Fetching Purushottam Prasad Quotes