तुम दिन कहो हम रात लिखेंगें,
तेरे जुल्म की हर बात लिखेंगें।
तू क़ैद कर ले सच दीवारों में आज,
कल हम चीख कर आज़ाद लिखेंगें।
डरने वाले नहीं हैं हम ये जान ले तू,
तेरे एक-एक लफ्ज़ को बदकिरदार लिखेंगे।
तुझे अपनी तलवारो पे गुरूर है, तो हो,
हम अपनी क़लम से इंतकाम लिखेंगें।
-