MOHD ASAD SIDDIQUE   (Asad)
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Joined 22 November 2020


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Joined 22 November 2020
27 MAR 2022 AT 11:48

मां महज़ अल्फ़ाज़ नहीं, पूरी कायनात है,
औकात क्या जन्नत की, उसके पैरों की ख़ाक है।

सलामत रहे उसका साया हमारे सरों पर,
कि उसकी दुआओं का असर जैसे मेराज है।

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6 MAR 2022 AT 14:44

अक्सर मेरे ख्वाबों में तुम आते हो,
करीब, बहुत करीब आते हो,
प्यार की बातें भी करते हो,
बड़ा मुस्कुराते हो।

क्यों न रोक लूं फिर सदा के लिए
ओढ़कर चादर मौत की, वफ़ा के लिए।

कब तक खुद से शर्त लगाता रहूं,
तुम मेरे हो सब को बताता रहूं।

पल दो पल आकर चले जाते हो।
चुराकर सब ख़्वाब मेरे,
किसी और का ख़्वाब सजाते हो।
अक्सर मेरे ख्वाबों में तुम आते हो...

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22 FEB 2022 AT 23:37

कबूतर नहीं, तब बेटा बाज़ होता है,
जब सिर पर बाप का हांथ होता है।

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18 FEB 2022 AT 21:10

खसारा दिल को किए यार बैठे हैं,
छोड़ कर अपना घर बार बैठे हैं।

ज़ुल्म है जान पर, ये इश्क़ असद,
दिल तोड़ने को साहिर, तैयार बैठे हैं।

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12 FEB 2022 AT 21:28

मेरी ज़िंदगी के कुछ पन्ने खाली हैं,
आकर तुम कोई कहानी लिख दो।

लिख दो मेरी कश्ती को काग़ज़ का,
कोई नग्मा अपनी ही जुबानी लिख दो।

खुद को लिखना सावन तुम, रज्जो
मेरे आंसुओं को बस पानी लिख दो।

नाम न रखना कोई अब मेरा तुम,
माथे पर मेरे यूं गुमनामी लिख दो।

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6 FEB 2022 AT 13:29

हाल - फिलहाल, अब ज़िंदगी बेहाल है,
ख्वाहिश जीने की, सांसों पर सवाल है।

क़त्ल हो जाने का जी चाहता है असद,
हमदर्द के हाथ में खंजर, बड़ा कमाल है।

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29 JAN 2022 AT 10:48

रूठ गए सब सितारे मेरी किस्मत के,
फिर जुगनुओं को हमराज़ बनाया है।

लगाकर पहरे चाहतों की दहलीज़ पर,
ख्वाबों से, रात का लिहाफ उठाया है।

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24 JAN 2022 AT 22:58


हम लड़कों की तो फितरत है,
हर लड़की पर फिसल जाना।

(कृपया पूरी रचना कैप्शन में पढें)...

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19 JAN 2022 AT 21:32

छिड़क कर नमक तेरी यादों का अब,
हर शब आंखों से, अश्कों को पीते हैं।

मालूम नही नुस्खा, ज़ख़्म छुपाने का,
पैबंद लगा कर, सब सुइयों से सीते हैं।

तूने ही सिखाया था, जीने का सलीका,
बाद तेरे अब हम, मर मर कर जीते हैं।

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17 JAN 2022 AT 16:22

मिलने की उम्मीद खत्म, इंतजार बाक़ी है,
ले आए जो अंधेरा, अभी वो शाम बाकी है।

भूल जाऊं मैं सब कुछ ये मुमकिन है, मगर,
सब यादें ताज़ा करने को तेरा नाम काफ़ी है।

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