मां महज़ अल्फ़ाज़ नहीं, पूरी कायनात है,
औकात क्या जन्नत की, उसके पैरों की ख़ाक है।
सलामत रहे उसका साया हमारे सरों पर,
कि उसकी दुआओं का असर जैसे मेराज है।-
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मेरे अल्फ़ाज़ मेरे जज़्बात हैं
मै खुद को कागज़ पे, क़लम से उतरता हूं... read more
अक्सर मेरे ख्वाबों में तुम आते हो,
करीब, बहुत करीब आते हो,
प्यार की बातें भी करते हो,
बड़ा मुस्कुराते हो।
क्यों न रोक लूं फिर सदा के लिए
ओढ़कर चादर मौत की, वफ़ा के लिए।
कब तक खुद से शर्त लगाता रहूं,
तुम मेरे हो सब को बताता रहूं।
पल दो पल आकर चले जाते हो।
चुराकर सब ख़्वाब मेरे,
किसी और का ख़्वाब सजाते हो।
अक्सर मेरे ख्वाबों में तुम आते हो...-
कबूतर नहीं, तब बेटा बाज़ होता है,
जब सिर पर बाप का हांथ होता है।-
खसारा दिल को किए यार बैठे हैं,
छोड़ कर अपना घर बार बैठे हैं।
ज़ुल्म है जान पर, ये इश्क़ असद,
दिल तोड़ने को साहिर, तैयार बैठे हैं।-
मेरी ज़िंदगी के कुछ पन्ने खाली हैं,
आकर तुम कोई कहानी लिख दो।
लिख दो मेरी कश्ती को काग़ज़ का,
कोई नग्मा अपनी ही जुबानी लिख दो।
खुद को लिखना सावन तुम, रज्जो
मेरे आंसुओं को बस पानी लिख दो।
नाम न रखना कोई अब मेरा तुम,
माथे पर मेरे यूं गुमनामी लिख दो।-
हाल - फिलहाल, अब ज़िंदगी बेहाल है,
ख्वाहिश जीने की, सांसों पर सवाल है।
क़त्ल हो जाने का जी चाहता है असद,
हमदर्द के हाथ में खंजर, बड़ा कमाल है।-
रूठ गए सब सितारे मेरी किस्मत के,
फिर जुगनुओं को हमराज़ बनाया है।
लगाकर पहरे चाहतों की दहलीज़ पर,
ख्वाबों से, रात का लिहाफ उठाया है।
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हम लड़कों की तो फितरत है,
हर लड़की पर फिसल जाना।
(कृपया पूरी रचना कैप्शन में पढें)...-
मेरी उड़ान का गवाह तो यह आसमान है👭
(कृपया पूरी रचना कैप्शन में पढ़े...)-
छिड़क कर नमक तेरी यादों का अब,
हर शब आंखों से, अश्कों को पीते हैं।
मालूम नही नुस्खा, ज़ख़्म छुपाने का,
पैबंद लगा कर, सब सुइयों से सीते हैं।
तूने ही सिखाया था, जीने का सलीका,
बाद तेरे अब हम, मर मर कर जीते हैं।-