मुझसे पूछा किसी ने उसके बिन ज़िंदगी कैसी गुज़री तेरी,
पिंजरे में छटपटाते पंछी की तरफ इशारा कर दिया मैंने...-
गर हैं तुम्हें मोहब्बत उन परिंदों से,
फिर क्यों नही करते आज़ाद उन्हें दुनयावी बंदिशों से।-
किसी परिंदे की तरह कुछ ऐसे कैद हूं पिंजरे में साहब,,,,
ख्वाहिशों को पंख फैलाए मानो एक अरसा हो गया....!!!!!!!-
में चाहता हूं…
हर उस परिंदे को आसमान मिले,
जिसके पंख है यहां.
कैद के लिए इस जमीं पर,
इंसान कम है क्या ?
ऐ इंसान अपने शौक के लिए,
क्यों पिंजरे में परिंदो को कैद करे.
मुकद्दर को उसके तू क्यू खुद लिखे,
उसका घर... ये पूरा जहां है.
ये ज़मीं भी उन्हीं की है,
ये उन्हीं का आसमां है.
तूने जंगलों को क्या से क्या कर दिया,
परिंदो के घरों को क्यों उजाड़ दिया.
अब भी माफी मांग रब से और इन्हे जाने दे,
ए इंसान तू क्यों परिंदो को कैद करे.-
Mujhse pucha kisi ne uske bina zindagi kaisi guzar rhi,
Pinjre mai chhatpatate panchiyo ki taraf ishara kar dia maine...-
میرے دل کے پنجڑےمیں قیدمچلتی رہے گی تاعمر
تیری خواہش،تیری طلب،تیری چاہ،تیرے نام کی آہ
Mere dill ke pinjare me machalti rahegi ta umar,
Teri khuwahish,Teri talab Teri chah Tere naam ki aah.
✍️رائٹس۔ناعمہ اصلاحی-
पिंजरा खोल आज़ाद कर उसे परवाज करने दे, वो अर्श का परिंदा है, तू फर्श पर छुपाया ना कर.
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Main us pinjray ka panchi hoon...
Jo khula toh hai.. par udnay nhi deta...-
उड़ना है हमे भी
पंख फैलाने को हम भी बेकरार है
आसमान तो खुला ही है
बस पिंजरा खुलने का इंतज़ार हैं-
Ishq azaad hai aur
Yahi ishq kaid hai 'dil' ke pinjare me .
Ajib se halaat hai ,
Khud ka dil bhi khud ke nahi kehne me !
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