बिछड़ने के बाद ये अहसास होता है
बिछड़ने वाला वाकई खास होता है-
जिस शहर को हम प्यार की वादियों सा समझते थे
वो नफ़रत की वादियां सा बनता जा रहा है
प्यार शब्द को दूर कर, बस नफ़रत फैला रहा है
उसे इंसान हो के इंसान से मतलब नहीं
जाने किस किस्म का हैवान बनता जा रहा है
ना उसको मतलब था मुल्क से ,
ना था जाति से
उसको मतलब था तो बस धर्म से
जो था अगर हिंदू ,तो
वो उसेबेरहमी से मारता जा रहा था।।।
अफसोस है
की क्या ये वही हिंदुस्तान है!
जिसकी पहचान "unity in diversity "से हुआ करती थी
Emotiontowrite
Ankita-
कश्मीर की घटना बता रही है,
इतिहास से अगर सीख न ली जाए,
तो इतिहास पुनः वर्तमान बनकर सामने आ जाता है .....-
The vale was quiet, the air so still,
Whispers of wind danced on the hill.
Pilgrims moved with hopes held high,
Unaware of eyes beneath the sky.
Not rage, not chaos, not sudden flame —
But silence wore a different name.
Maps were drawn in darkened rooms,
Where peace was dressed in measured dooms.
It wasn’t madness, wild and fast,
But patience stitched in every blast.
A plan that crawled through border wire,
With cold intent and quiet fire.
No faces shown, no flags unfurled,
Just numbers lost to a watching world.
And mothers wept by candlelight,
While truth was buried out of sight.
This wasn’t hate that blindly strikes,
But motive masked in ancient gripes.
Not terror’s scream, but reason’s lie —
That calmly chooses who must die.-
फिर इंसानियत की बलि चढ़ी,
मासूम ज़िंदगियाँ हमने खोई हैं।
ना कोई चीख़, ना कोई सवाल,
लाशें गिरी, और इंसानियत रोयी है।
उस आंगन में सहमा चाँद, सहमी रातें हैं,
हर कोना पूछे - कहाँ हैं वो बातेँ हैं?
मन कराह रहा, जुबां में खामोशी है,
माँ की ममता आज फिर हारी है।
खोईं हैं साँसें बेगुनाहों की,
हिंद की आंखे भर आयीं हैं।
किससे कहें ये दर्द, किसे पुकारें?
कफ़न में लिपटकर उम्मीद आयी है।
जन्नत थी घाटी, फिर हूई दागदार,
नन्हें खिलौनों पे खून के छींटों से।
जिन आंखो में कल रौनक थी,
आज आँसू से वो पथराई हैं।
हिंद के हर कोने से अब आवाज़ आयी है,
अब थमेगा ये दौर, अब बेरहमी की बिदाई है।
अब बस ये लाशें नही खबर बनेंगी,
अब और न सिसकियां दबी रहेंगी।
बोल रहें सब की अंब सब मुमकिन है,
डरने की बारी अब उनकी आयी है।
अबकी दहाड़ की गूंज मिसाल बनेगी,
उनकी सोच से पार चीखें जाएंगी।
नफरती सोच को दफन करने को,
हर हिंदुस्तानी ने आज कसम खाई है।
अब फना करेगा जज़्बा हिंद का,
नफ़रत के इन ठेकेदारों का,
फिर मजहब को हथियार बना,
जिस सोच ने इंसानियत को मारा है।
उस सोच को सहमना अब होगा,
नफरत की आवाज को थमना होगा।
अब कोई सवाल न होगा,
बस इंतकाम ही जवाब होगा।
खत्म करेंगे कायर मंसूबों को,
सरहद पार आतंकी सूबों को।
अब न कोई आंचल यूँ सूना होगा,
न किसी की उम्मीदें दम तोड़ेंगी।
जय हिंद का होगा उद्घोष हर ओर,
मां भारती की दहाड़ का होगा शोर।-
Choti si hai zindagi, Muskurane ke hai kuch pal, Haste khelte guzar jati zindagi milke, Par Kayaro ki soch ne hame bata diya hai, Machake dharam ka dhong kitno ko mara hai, Karte hai ekta ka dikhava, Hota khub shor, Lekin bad mai phir wahi sannata hai.
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शायद अब वक़्त नहीं रहा कुछ कहने को,
ना ही किसी को दिल की जज़्बात बताने को।
कुछ रिश्ते बिना कहे समझ गए,
कुछ गिड़गिड़ाने पर भी साथ छोड़ गए।
अब बस ख़्वाब है-किसी समानांतर दुनिया में वो साथ हो,
चाहे ग़म हो या रम, बस साथ हो जाम... हर शाम।-
ना बोली देखी, ना मेरी जात देखी,
ना मेरा वतन, ना हालात देखी,
बस पूछा—'हिंदू है?'—इतनी सी बात,
और छीन ली मुझसे मेरी हर सौगात।
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हम AK-47 के सामने मृत्यु निश्चित होने पर भी अपना धर्म हिंदू बताते हैं,
और वह सिर्फ़ अपनी दुकान चलाने के लिए अपना धर्म बदल लेते हैं।-
ಮುಗ್ಧ ಜೀವಗಳ
ರಕ್ತದೋಕುಳಿಯಾಡಿ
ಸಿಂಧೂರ ಅಳಸಿದ ರಾಕ್ಷಸರ ದಂಡಿಗೆ
ಬೆಂಕಿ ಉಗುಳುತಲಿ
ಯೋಧ ಮಿತ್ರನು ಈಗ
ರಕ್ತ ತಿಲಕದಲಿ ಸಂತ್ವಾನಿಸುತಿಹನು
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