मंजर दिलकश लगता है ये किसी सपने का,
मेरे अपने को कितना है ख़याल अपने का-
तो फिर आ जाओ घूमने अदब का शहर
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द्रवित ह्रदय और कठिन समय में ही
सबसे सच्ची प्रार्थना करता है इंसान-
तेरे ही मुन्तज़ीर रहेंगे उम्र भर
मेरी सारी रहगुज़र तुम ले लो
क्या तोहफा दें तुम्हें हमदम
हाज़िर है जां अगर तुम ले लो
मुझे हाजत नहीं रही साए की
राहों के सारे शजर तुम ले लो
शौक-ए-सुखन ना बाकी रहा
मेरा तहरीर ए हुनर तुम ले लो
तुझसा हसीं ना दिखेगा वैदेही
एक बार मेरी नज़र तुम ले लो-
नज़ा का वो आखरी वक्त इंसान कैसे गुज़ारते होंगे,
काश हम बढ़ाते हाथ वो हमारा नाम पुकारते होंगे-
यारों के यार रखते सबका बहुत ख्याल हो
जुबां पर न किसी के लिए कभी ज़वाल हो
शफ्फाक दिल में न बैरभाव जैसा बवाल हो
आला इंसान आप जहां सच में बेमिसाल हो-
तेरी फ़ितरत में वफा नहीं है
मेरी फ़ितरत में ज़फा नहीं है
मुझे तुझसे नफरत इतनी है
जिसकी कोई इंतहा नहीं है-
टूटे दिल का ईलाज वक्त रहते ज़रूरी है
वरना लोग मर जाते हैं हादसों के बाद-
ख़्वाबों मे बसते हो मेरे,
तुम्हें ही तसव्वुर में लाते हैं हम,
सोचो कितने खास हो तुम,
तुम्हेँ सोच के मुस्कुराते है हम-
आँखों में कातिलाना मस्ती जुबां से अमृत टपकाता है,
ए सितमगर दिलों से खेलने का हुनर कहाँ से लाता है
तहरीर-ए-वफ़ा से तेरी किताब हर पन्ना रहता भरा है,
हाय! ज़ालिम हर हसींमहजबीं से प्यार तुझे हो जाता है-