Yq मित्रों, भाई बहनों से विनम्र अनुरोध है के वो सभी टेस्टीमोनियल का कमेन्ट ऑफ कर दें, क्योंकि, गंदे लोग जो हमारी पोस्ट पर कमेंट नहीं कर पाते वो अब टेस्टी मोनियल पर जाकर लोगों के कमेंट पर जाकर कमेंट में गंदी बातें लिख रहें है, वो अस्थिरता पैदा कर हमारा मनोबल तोड़ना चाहते है, पर वो विकृत मानसिकता के लोग हमें डरा नहीं पाएंगे
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तो फिर आ जाओ घूमने अदब का शहर
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दिल के जख्मों से उभरना पड़ा,
खुद की नज़रों से उतरना पड़ा
शौक-ए-सुखन से मुब्तिला है वो,
नज़्म-ए-ग़म हमें लिखना पड़ा
तन्हा रास्ते और ख़्याल तुम्हारा,
राह-ए-हिज्र से हमें गुज़रना पड़ा
उस से मिलके ही ज़िंदा थे हम,
अफ़सोस उस से बिछड़ना पड़ा
ज़हर तो बे-असर ही रहा वैदेही
आब-ए-बक़ा पीकर मरना पड़ा-
तग़य्युर है ज़रूरी आलम-ए-बद हवास में,
मुन्तजिर है हर इंसा तनाज़ुर की तलाश में
अँधेरे को आखिर किस तरह करें काफूर हम,
चराग रोशन ना हो पाया चिंगारी की आस में
ज़ुल्म यूँ सर चढ़ के नहीं बोलता इस कदर,
कुछतो कमी खल रही होंगी हमारे असास में
ज़ुल्म की अब दास्तान मिटाने को ऐ वैदेही,
रख ले कुछ तल्ख़ी तू भी अपने मिजाज़ में-
निगाश्ता फेहरिस्त रही फकत बाकी मुस्तकिल वादों की,
उनके तबख्तुर-ए-इश्क़ में हम इस कदर नादाँ बने रहें-
पर कटे जो सोचता क्यों है अब क्या हो,
छू ले आसमाँ तेरे हौसले अजब क्या हो
हसब-नसब के क़फस में क्यों है तू कैद,
इंसान है तू सोच के तेरा लकब क्या हो
तू राहत सबके लिए तस्कीन बन सबकी,
तू जो हो हासिल और की तलब क्या हो
संवार ले तू भी अपनी ज़िन्दगी ऐ वैदेही,
कोई न जाने किसके हिस्से कब क्या हो-
चूम ले निगाहों से वक़्त की थोड़ी कमी है,
मोहब्बत में मग़र थोड़ा सा सब्र लाज़मी है-
आलामत है ये इश्क की मकबूल हो जाना,
खूबसूरत गुलाब का बर्ग-ए-गुल हो जाना//-
तुझे देख कर तो कम्बख्त दिल नहीं भरता
कौन कहता सुकूँ को एक झलक काफ़ी है-