Dr. Shailendra singh   (शैल)
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Joined 27 October 2019


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Joined 27 October 2019

In life’s relentless chase,
So much stays incomplete.
Duty grows, dreams fade,
As we bow to truth’s defeat.

Age adds reason, not rest;
Wisdom deepens, yet tires the soul.
Somewhere between gain and loss,
We forget what made us whole.

But even in the half-lit song,
The heart still learns to dream —
For what’s unfinished often shines
Brighter than what has been.

-



जीवन की आपाधापी में,
बहुत कुछ अधूरा रह जाता है।
जिम्मेदार बनते-बनते जीवन में,
कितने सपने अधूरे रह जाते हैं।

हकीकत के आगे नतमस्तक हो,
कितनी बार हम हारते हैं।
उम्र व तज़ुर्बा तो बढ़ता है,
पर सपने थक थम जाते हैं।

मन की गलियों में जो दीप जले,
वो धुँध में मद्धिम हो जाते हैं।
कल की रोटी की फिक्र में अक्सर,
आज के फूल मुरझा जाते हैं।

हर मुस्कान के पीछे छिपी,
थकावट की पीड़ा होती है।
हर सफलता के आँगन में भी,
बहुत कुछ अधूरा होता है।

अधूरापन ही तो जीवन का गीत है,
इसी में तो गति, यही तो प्रीत है।
जो पा लिया, वो क्षणभर का है,
जो सपना अधूरा है, वही उम्मीद है।

चलो फिर सपनों को नया अर्थ दें,
बीते कल से संवाद करें।
हर अधूरे सुर में भी संगीत खोजें,
और फिर थकान में विश्वास भरें।

-


10 OCT AT 5:02

कम आंकते हैं हम,
जो हासिल है हमें,
चाहे वो हों रिश्ते,
या हो मिले संसाधन।

हर दिन की सुबह में,
छिपा होता एक वरदान,
पर हम ढूँढते रहते हैं,
कहीं दूर कोई आसमान।

जो साथ हैं हमारे,
वो भी इक नियामत हैं,
पर हम सोचते रहते हैं,
अब भी कुछ कमी बाकी है।

मुस्कान किसी की,
या सुकून का एक पल,
सब है हमारे पास,
पर मन है फिर भी बेचैन।

कभी रुक कर देखें,
तो एहसास होगा यही,
ख़ज़ाना यहीं है सारा,
बस नज़र चाहिए सही।

नया भाने लगता है,
पूराने की कद्र रहती नही,
परखना खुद को सीख लें,
यही है सच्चा ज्ञान जीवन में।

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9 OCT AT 7:22

मत्स्य बने जग तारन हार,
कूर्म बने धर धीर आधार।
वराह उठाए भू का भार,
नमन तुझे श्री विष्णु सरकार।

जय जय विष्णु भगवान,
तेरे रूप के अनंत प्रमाण।
दसों अवतार मे गुणगान,
जय जय विष्णु भगवान।

नरसिंह रूप में गरजे प्रचंड,
प्रह्लाद बचाए, अधर्म हुआ अंत।
वामन बने तीन कदम चले,
बलि को मोक्ष मार्ग मिले।

परशुराम का तेज विशाल,
राम बने मर्यादा निधान।
कृष्ण बाँसुरी की मधुर तान,
बुद्ध बने करुणा का गान।

कल्कि अवतार जब आएँगे,
अधर्म का अंत कर जाएँगे।
हर युग में तू रखे जग ध्यान,
नमन तुझे पालनहार भगवान।

हर गुरुवार ये मिलन भज गाएँ,
तेरे चरणों में शीश झुकाएँ।
जय श्रीहरि विष्णु भगवान,
तेरे नाम से है जग में ज्ञान।

-


7 OCT AT 20:42

चलो उठें फिर से, थकान को मिटा दें,
अँधेरों के पार नई राह बना दें।
हौसलों की उड़ान अब रुकने न दें,
हर बाधा को अपनी ताक़त बना दें।

चलो ज़िंदगी को नया मोड़ देते हैं,
कल की चिंता अब मालिक पर छोड़ देते हैं।
संतोष को बना लें अपना मार्गदर्शन,
चलो जिंदगी को नया दौर देते हैं।

ठहराव से परे, अब गति को अपनाएँ हम,
नव-संकल्प की राहों में दीप जलाएँ हम।
हर गिरावट से उठना ही पहचान होगी,
हर अँधियारे में उजाले की उड़ान होगी।

जो बीत चुका, उसे अब अतीत रहने दें,
नए सवेरे को अपनी जीत रहने दें।
साहस से सजे हर एक क़दम हमारे हों,
संघर्षों में तपे, फिर भी मज़बूत सितारे हों।

हार को न मानें, उसे सीढ़ी बनाएँ हम,
संभावनाओं से अपना पथ सजाएँ हम।
विश्वास की डोर से जीवन को जोड़ देते हैं,
चलो ज़िंदगी को नया मोड़ देते हैं।

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7 OCT AT 3:57

है नमन आपको आदिकवि,
है नमन रचियता रामायण के।
नमन सात कांड चौबीस हजार श्लोक,
चार लाख अस्सी हजार दो शब्द को।

नमन प्रभु राम गुण वर्णित
रामायण काव्य ग्रंथ को।
हे ब्रह्मा स्वरूप रत्नाकर,
शत शत नमन, हे ऋषिवर महान।

वन में तप कर ज्ञान दिया,
मानव को मर्यादा का मान दिया।
प्रभु के चरित को गाया आपने,
धरती को धर्म का दान दिया।

सीता की शुचिता, राम का धैर्य,
भक्ति का अमृत बरसाया।
हर युग में जो पथ दिखाए,
आपने ही वह दीप जलाया।

हर अक्षर में बसते हैं राम,
हर छंद में होती है भक्ति।
आपकी वाणी से जन्मी है,
संस्कृति की यह दिव्य शक्ति।

हे वाल्मीकि, युगों युगों तक,
राम कथा अमर रहे संसार में।
आपका नाम सदा गूंजे,
हर भक्त के उद्धार में।

है नमन आपको आदिकवि,
है नमन रचियता रामायण के।
हे ब्रह्मा स्वरूप रत्नाकर,
नमन आपको, ऋषिवर महान।

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6 OCT AT 7:28

माँ लक्ष्मी आयी, चाँदनी छायी,
सुख-समृद्धि की बगिया मुस्कायी।

शरद की ये पावन रात है,
माँ तेरे चरणों में सौगात है।
हर दिल में तू उजियारा भर दे,
दुःख-दर्द सब दूर कर दे।

धन-धान्य से घर भर जाये,
तेरी कृपा से मन हरसाये।
भक्ति से तेरा नाम बुलायें,
जीवन में खुशियाँ हम पायें।

तेरे बिना कुछ भी नहीं है,
तेरी कृपा ही जीवन में हंसी है।
शरण तेरा द्वार जो पाये,
वो हर सुख-संपदा अपनाये।

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5 OCT AT 6:44

इस जीवन में नहीं कुछ आसान,
संघर्ष के संग है नित्य घमासान।
हर जीत के पीछे छुपा है प्रयास,
हर हार देती है आगे का विश्वास।

पग-पग पर कसौटी, हर मोड़ पे इम्तिहान,
गिरते हुए भी चलना है, राह कहाँ आसान।
पसीने की हर बूंद बनती है कल कहानी,
जंग से ही निकलती है जीवन की रवानी।

जो रुक गया, वो थम गया समय के साथ,
जो चल पड़ा, वो लिख गया इतिहास।
हर आँसू में छुपी है एक नई उड़ान,
हर ठोकर देती है जीत की पहचान।

पत्थरों पे भी चलकर बना रास्ता,
तूफानों से टकरा के रख जीत से वास्ता।
जो गिरकर भी फिर से उठ खड़ा हो जाए,
वही तो मंज़िलों तक का सफ़र तय कर जाए।

सफलता कोई उपहार नहीं जो यूँ ही मिल जाए,
यह तो तप और समर्पण से ही निखर पाए।
हर रात के बाद ही सवेरा आता है,
हर दर्द के बाद ही सुकून मुस्कुराता है।

ये पथ कठिन सही पर मंज़िल दोती पहचान है,
हर संघर्ष में छुपा विकास का वरदान है।
हारना नहीं, ना रुकना अब तेरा धर्म है,
तेरे साहस में ही छिपा तेरे जीवन का कर्म है।

चलते रहो, अडिग रहो, विश्वास की राह पर,
बुझते नहीं जो दीप जो जलते हैं चाह पर।
संघर्ष ही तो देता है जीवन को पहचान,
इसी से बनता है हर इन्सान महान।

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4 OCT AT 6:14

मत रुक मत थक तू,
अभी तुझमें सांस बाकी है,
अभी तक हार ना मानी है,
तो जीत की उम्मीद बाकी है,
मत रुक मत थक तू
अभी तुझमें सांस बाकी है....

एक जिद एक होड़ तेरी खुद से है,
थक मत हार मत अभी बहुत से दौर बाकी है,
सफर के हर मोड़ पे तू बस चलता जा,
देख तुझको भी मंजिल की आस बाकी है,
मत रुक मत थक तू, अभी तुझमें सांस बाकी है,
अभी तक हार ना मानी है, तो जीत की उम्मीद बाकी है।

आखिरी सांस तक हार ना मानी है,
जिद्दी तुझमें है, एक जूनून बाकी है,
लौट कर आया तू फिर से यहां पे,
फिर से जीतने की उम्मीद बाकी है।
मत रुक मत थक तू,
अभी तुझमें सांस बाकी है,
अभी तक हार ना मानी है,
तो जीत की उम्मीद बाकी है।

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3 OCT AT 7:03

आंधियां रुकेगी ज़रूर,
घटा भी छटेगी ठहर,
धूप में आगे छांह भी मिलेगी,
बस ज़रा सब्र रख तू मगर।

रात कितनी ही गहरी क्यों न हो,
सुबह फिर भी होगी असरदार,
थकावट के पार ही मिलती है,
जीत की वो मीठी फुहार।

हर गिरावट में छिपा सबक है,
हर हार में है जीत की डगर,
बस मंज़िल को याद रख अपनी,
कदम बढ़ाता चल यूं ही निरंतर।

तूफान भी सिर झुका देंगे,
जब तेरी हिम्मत न झुके यहाँ,
विश्वास की लौ जलती रहे बस,
तो किस्मत भी करेगी तेरा सजदा।

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