धूप को झेलती हुई पीठ को
कमज़ोर पड़ने का
अधिकार नहीं होता..!-
कभी मैंने ही सिखाया था उसको नज़रंदाज करना,
वो कल जब मिला तो मुझे ही पीठ दिखाता मिला।-
मौन
जिन्होंने भी पीठ पीछे मेरी बुराई की है
मैंने भी मौन रहकर उनकी खूब धुनाई की है
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कब मांगी थी मैंने मंज़िल कोई
कब मांगा था मैंने रहबर कोई
बस मांगी थी ज़रा सी होंसला अफ़ज़ाई
के पीठ पर हाथ रख दे कोई।
Kab maangi thi maine manzil koi,
kab maanga tha maine rahbar koi.
Bas maangi thi zara si honsla afzaayi,
ke peeth par haath rakh de koi.-
उम्र भर में दुश्मनो से बचता रहा ....
जब खंजर पीठ पर देखा तो वो किसी अपने का ही था
और भरोसा किसी और पर कर भी ले तो कैसे कर ले
एक शख्स सब कुछ छीन गया , अपना बनाने के बाद
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"Peeth"
Galti Meri Jaaan
Peeth Ki Tarah
Hoti Hai
Dusron Ki Aksar
Se Dikh Jaaati Hai
Magar Khudki
Kabhi Nahi-
Aksar bhounkte ho tum log mere peeth ke peeche is baat se koi hairani nahi
Aur tum sirf mera naam jante ho iske peeche ki kahani nahi!-
Pyar karna hai to Wafa Se Karo
Bewafai se kyon karte ho
Jis ke Samne hote ho use wafa
Aur uske Peeth Piche hi
Bewafai karte ho-
पीठ तो हमें दिखाई नहीं देती,😜
तो हम पीठ पीछे बात करने
वालों की क्या परवाह करेंगे।🤙-
आप आप कह कर
पीठ पीछे वार करने वालों से
कहीं बेहतर है
गुस्से में, तेरा आप से तुम
तुम से तू पर आ जाना-