जीवन का तत्व, एकमात्र वायु मेरी
मेह मे सहारा, केवल मेरे छत के अधीन
घाम मे छाया, मात्र मेरा साया
लिखने की आशा, मुझसे बने कागज़ ने ही पूरा किया
खड़े खड़े जब पग मे दर्द हुआ,मेरे लकड़ी से बने आसन ने सहारा तुम्हें दिया
जब बच्चा तुम्हारा रोया, मेरी शाखाओं ने उसे झुलाया
और भी बहुत से उपकार है तुम पर मेरे, जो मैने यहाँ याद नहीं दिलाया
फिर भी तू मानव इतना निर्दयी निकला, मुझे ही उखाड़ रहा हैं
देख आश्चर्य ना हुआ के तू अपने माँ बाप को भी घर से निकाल रहा हैं
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