अपनी शाख,
से टूटा हुआ !
एक सूखा,
हुआ सा पत्ता !
मुझे प्रायः,
ये याद दिलाता है !
कि जब तुमने मुझसे !
छोड़ जाने की बात की थी !
तो मेरी भी,
हालत उस वक्त !
उस सूखे पत्ते सी,
ही हो गयी थी,
जिसका अपनी,
शाख से अलग !
हो जाने पर कोई,
अस्तिव नहीं रहता है !!-
Na dard unhe na dard hume
A mere khuda bas eak hi pukar hai tujse upar lage ped se mere naam k patte ko waqt se pehle "GIRA" dena.-
पेड़ से गिरा एक पत्ता...
पेड़ की शाखा से एक पत्ता गिरा
धरा से उसका प्यार था बडा़ ,
पेड़ ने नही किया इन्कार,
मुक्त किया उसे धरा से करने प्यार
हवासे बाते करते करते
अपने ही धून मे गोते खाते खाते
मुस्कुराता हुअा धरा की तरफ बडता गया,
बाहे फैलाके धरा ने भी उसका स्वागत किया
अपने अंदर समाके उसे
मिट्ठी से भरा आलिंगन दिया ।
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हर तरफ से एड़ी चोटी का
जोर लगाया,
थक हार कर जब बैठे
तो याद आया कि उसकी...
रजा के बिना
तो पत्ता तक नही हिलता।— % &-
बिखर रहे हैं अरमान
साख से गिरे पत्तों की तरह
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Phir koi jakhm milega tayyar rah aay dil
Kuch log phir peesh aa rhe bahot pyaar se-
शाख से टूटा पत्ता भी सुनाई दे गया
तुम बिन महफ़िल में वो सन्नाटा पसरा है।
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Tum "Allah" Ki kin Kin Nemataun Ko Jhotlau ge ..
"Allah" ke marzi ke Bina ek Patta nahi hilta ...-