किरदार जीता हैं सदियों तक,
हुस्न के बस मे तो एक उमर नहीं होती!-
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Sagar SR
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Ladka graduate hain!! 😊😊
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सोचता हूँ और क्या करूँगा इश्क़ करने के बाद
रोज़ मरता जा रहा हूँ उसपे मरने के बाद
है संगदिली या जैसे लेहज़ा है उसका
वो बातें तो करता है मुझसे मगर लड़ने के बाद
क़रीब होकर भी गले ना मिलना मेरी मज़बूरी है
उसे पता है मै खुलता तो हूँ थोड़ा डरने के बाद
मेरे लिखें शेर अब कोई सुन ने वाला नहीं
तुम भी जला देना सारे पन्ने पढ़ने के बाद-
उसे जब किसीने मेरे नाम से सताया होगा
वो भूल चुकी है मुझे बड़े याद से बताया होगा
बस यही बात सोच कर हैरान हूँ मैं अब तक
उसने मेरे दिए तोहफ़े को कहाँ छुपाया होगा
मेरे अलफ़ाज़ धुएँ से लिपट कर रोये होंगे
जिस रोज़ उसने मेरे ख़तो को जलाया होगा
मेरी गली के लड़के दिखने लगे है मेरी तरह आजकल
लगता है वो शख़्स फिर वही क़िस्सा दोहराया होगा-
मै और कितनी कहानियाँ सुनाऊ तुम्हे,
हाल ए दिल क्या बताऊ तुम्हे!
जिस से भी दिल लगाता हूँ तोड़ जाता है,
हर कहानी के अंत में वो मुझे छोड़ जाता हैं!!-
सबकुछ दिखता हैं उनकी आँखो में
मेरे लिए प्यार दिखता नहीं है,
वो कलम अब भी डायरी में है
मगर अब लिखता नहीं है!-
खड़ा हैं तन्हा आज भी किसी के इंतजार में
उस सूखे पेड़ के नीचे छाँव रखना हैं,
जो छोड़ गए अपने गाँव , वापस नहीं लौटे
अब शहर का नाम बदल कर गाँव रखना हैं!-
जुड़ जाते है उसकी कलम से
बन जाते है हिस्सा उसके लिखें हर कहानी का,
ऐसे ही नहीं बन जाता कोई शख्स
Fan जानी का!!-
दर्द पूछे जो कोई नाम आता है उसी का
इश्क़ में होता है हश्र ये सभी का,
दुआए अगर लगती है तो बद्दुआएं भी लगेंगी
क्या पता मैंने भी तोड़ा हो दिल किसी का!-
एक कागज़ था एक कलम थी
थोड़ा लेहज़ा था थोड़ी शरम थी,
जिसकी साफ़ नियत और साफ़ दिल था
मोहब्बत उसी के रहमों करम थी,
वो दौड़ था सबकी फरियादे सुनी जाती थी
उस दौड़ मे दुनिया न इतनी बेरहम थी,
उसके पैरो तले थी दुनिया जहां की रहमते-बरकते
माँ का आँचल ढाल था माँ की दुआएं मरहम थी!-