Lafzo ka istamal hifazat se kariye,
Yeh perwarish ka behtarin saboot hai.-
"LAFZO" ka istemaal HIFAAZAT se kijiye
Ye "PARWARISH" ka BEHTREEN saboot Hota hai.....-
कट रही है मौसमों की तरह जिन्दगी आजकल,
बहारें कब तलक गुजरेंगी,इन गलियों से मत पूछो।
अच्छी नहीं लगती हमें महफ़िल जमानें की,
नजारे कब तलक बदलेंगे,इन गलियों के मत पूछो।
तरबीयत़ रही अपनी सम्भल कर चलना राहों पर,
बहक गये अब तलक कितने,इन गलियों में कि मत पूछो।-
मेरे Respect के मायने
मेरे कपड़े, रस्मों रिवाज से ना जोड़ना
मेरे खाना बनाने के skills को मेरे संस्कारों से मोड़ना-
उस दिन अपनी परवरिश भी कटघरें मे खड़ी हो जातीं हैं
जब संतान 'आपने मुझे दिया क्या हैं' का सवाल करती हैं....!!
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Khush hote hain to kisi k liye,
Aansu bahate hain to kisi k liye,
Shak nhi koi,
Muskurate hain to kisi k liye,
Ye dua'n maangte hain kisi k liye,
Kisi ki fikr me jagte hain,to
Kisi k liye nind udate hain,
Zindagi me hum Jaan Gaye,
Hum jeete kisi k liye hain,
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A special respect to all those girls... who never misuse their freedom given by parents!!
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کسی اور کی...
पैदा माॅ ने किया
नाम किसी और का।
जवां मैं हुआ
परवरिश किसी और ने की।
इल्म हासिल मैंने किया
देखरेख किसी और ने की।
हाथ की लकीरें मेरी
तकदीर बताना काम किसी और का।
पर तो दिल मेरा है
हुकूमत किसी और की।
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बात अब वो कहा मैखाने में,
जो कभी हुआ करती थी पैमाने में,
सड़कें जो जाती हैं गाँवों से शहरों में,
कहाँ कभी वापस आती हैं जमाने में
गुजर गया वो दौर जब दिल सच्चे हुआ करते थे,
अब हर चेहरा मुखौटा लगाये हुए है जमाने में,
नाव वो ही भूल जाती है अपने मांझी को,
पार जब लग जाती है भवरों से, तूफानों से,
परवरिश ऐसी करो अपने बच्चों की ए जहां वालों,
जो कल माथे पर हांथ ना रखना पड़े वक़्त आने में,
एक पैगाम उन उँची इमारतों के नाम है मेरा,
नीवों का बलिदान है तुम्हे ऊँचा उठाने में.....-