Sanchita Singh   (Sanchita Singh)
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प्रतीक्षा कीजिए साहब..
क्योंकि बहुत कुछ गलत होगा,
सब कुछ सही होने से पहले....
Joined 1 April 2020


प्रतीक्षा कीजिए साहब..
क्योंकि बहुत कुछ गलत होगा,
सब कुछ सही होने से पहले....
Joined 1 April 2020
12 JUL AT 18:58

यूं आसां नहीं हैं रंजिशें आफताब से करना,

लाख बूंदे समेटी हैं,तो जाकर अब्र बन पाए....

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4 JUL AT 20:04

कभी फुरसत में सुनाएंगे दास्तान- ए- तसव्वुर,

अभी हकीकत के फसानों से जरा रूबरू होने दो...

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18 JUN AT 7:12

तू लगा आग जला दे, जो आएं घर तेरी जद में,
हम अपने हिस्से के कतरों से कुछ आशियां बचा लेंगे...

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4 MAY AT 13:03

नींदों में मिले शुकून जिन्हें वो लोग और हैं,
ज़रा फ़ुर्सत से भी बैठें तो यहां बेचैन हो जाते हैं...

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1 MAY AT 18:05

प्रेरणारूपी तेल,
सकारात्मकता रूपी बाती,
दृढ़ विश्वास रूपी लौ......

आशाओं का एक अदना सा दीप नहीं तो और आखिर हूँ कौन मैं ??

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15 DEC 2024 AT 15:12

लो खत्म कर दी मैंने सारी उम्मीदियां तुझसे,
ये नाउम्मदगी का मंजर तुझे रास आए तो कहना....

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14 DEC 2024 AT 18:31

तू बस हालात देख मेरे,हौसलों की न बात कर,
मैंने किश्तों में होते खुद को बरबाद देखा है..

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13 NOV 2024 AT 8:12

इसी उम्मीद में कि इक दिन तूफां सा उठेंगे,
कतरा कतरा हर रोज बिखरते ही जा रहे..

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5 NOV 2024 AT 7:40

देखे कई हकीम बहुत इलाज़ कर लिया,
अब उकता के हमनें यूं किया कि मर्ज़ बदल लिया..

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31 OCT 2024 AT 15:22

तेरी खुशबू और तेरे नूर से आती है दीवाली,
लो जला के दिए मैंने फिर,
बस त्यौहार मनाया..

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