श्रद्धा रूपी प्रेम
नतमस्तक नैंन
स्थाई अवलम्बन
प्रेरणाओं का अक्षय
भण्डार बन गई है।
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साधना ...... साधना आँखे खोल बिटिया
जब आँखे खुली तो साधना ने सामने माँ को हैरान परेशां देखा
"बिटिया क्या हुआ था तुझे "
"कुछ ना माँ बस शायद धुप की वजह से चक्कर आ गया था थोडा आराम करुँगी तो ठीक हो जायेगा"
"ठीक है " कहकर साधना की माँ तो चली गयी पर उतनी ही फुर्ती से साधना उठी और किवाड़ बंद कर क वापस आई बेड के निचे से उस लिफाफे और कागज़ को उठाया
शादी का कार्ड था वो जिसपर अक्षत और साधना का नाम लिखा था और साथ में एक ख़त
"तुम साथ दो तो इस ख़्वाब को हकीकत बनाना चाहता हूँ"
तुम्हारा अक्षत
पर साथ में एक कागज़ भी था जिसपर लिखा था "रास्ता अधूरा है अभी , दास्ताँ अधूरी है तुम्हारे इंतज़ार में एक क़ायनात अधूरी है" और साथ में दो साये एक साथ जलते हुए और...... और एक नारियल साथ में किनारे गिरा हुआ ..... क्या था वो कागज़? अक्षत ने तो केवल ख़त और कार्ड का ज़िक्र किया था फिर वो कहाँ से आया ? "अब क्या करूँ
अक्षत तो 4 महीने बाद आएगा तब तक? तब तक ये उलझन मुझे खा जायेगी और ऐसा क्या है इसमें जो मुझे इतना कचोट रहा क्यों मैं बाहर नही आ पा रही इस मृगतृष्णा से?"-
(4)
अपने सपने भुलाकर भी,
मुझे सपने देखना सिखाते हैं....
विश्वास जो मुझपर,
खुद से भी ज्यादा जताते हैं....
वो ज़िंदगी हैं मेरी ; जो मुझे जीना सिखाते हैं......
पापा......यूँ बाज़ार से खुशियाँ समेट लाते हैं.....-
शायद वक़्त ना रहे जब तुझे समझ आए मेरी उल्फत
तेरा जल ही जल जाएगा कभी आयेगा ऐसा भी वक़्त
तब मजबूर होगे सोचने पर कि कैसा था वो मंजर
जब भी मुझे प्यास थी और तुम इतराते रहे बनके समंदर-
That night, when Rohan did not call her even once , she was seething with anger. Anita had decided to fight with Rohan on the same the next morning. But somehow, he did not call the next morning too. Entire Sunday went by, and he did not call. Anita wanted to call him multiple times, but her anger and ego did not let her. She had made a mental image of Rohan being in bed with one of those girls and enjoying her Sunday, hence he forgot to call her.
But by night, she somehow got curious, and her anger was at peak.
Letting go her anxiousness, she called him. Her instincts said to start the call with a scream, however, she wanted to check if his friends were nearby or not.
Thinking this, she dialled his number. The call was answered on the second ring itself, as if, someone was waiting for her to call. And the reply she got to her 'hie' is something she can never forget even in a lifetime.
She cursed herself for not calling him all day.
She was angry at herself for not checking on him. She knew he had low tolerance to alcohol. She should have checked. She blamed it all on herself.
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हूँ गूँगे की आवाज़ कभी, कभी बागी की ललकार हूँ
हूँ किसी की वेदना, कभी किसी की पुकार हूँ
कभी इक सोच हूँ, कभी मोहब्बत का इज़हार हूँ
मैं शब्दो का ताना बाना, मैं एहसासों की मशाल हूँ...-
प्यार या सजा
अब तो खतम हुआ ये इश्क का शिलशिला, तूं तो ऐसे भूल गई जैसे मै तुझे कभी नही मिला ! पर एक पल को मेरा तो सोचती क्या यही था मेरे प्यार का शिला, मैने तो कहा था ना की अगर है कोई गिला तो जता मुझसे पर रिस्ता तोड़ तो ना जा बेवफा मुझसे।
अरे चल माना की गलती मेरी भी थी प्यार मैने किया था पर क्या तू बेकसूर थी तूने ही तो शुरू किया था इस इश्क के खेल को ! अब आगे क्या बोलू
कोशिश तो मूकम्मल की थी पर,तू इश्क नही नाकामी थी मेरी अब जाने देता हू ना छेड़ू इस इश्क के किस्से को उसमे भी तो प्यार की बदनमी है मेरी ।।-
गंगा रूपी प्रेम
अपलक मेरे नैन!
कल कल बहता जाऊँ...
अप्रितम प्रियवर
क्या जोहे मेरे रैन...-