May my 'I' surrender to you the way my body does.
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#Hailing from the land of gods, Uttarakhand(Dehradun)
#PG in Chemistry
#in_a_r... read more
With every pause,
one can experience the flow of wisdom within.-
ये लहर लहर से शब्द तेरे,
अर्थ मे समंदर सी गहराई है
ये गहराईयां तेरी सोच की, समंदर से गहरी है
मै किसी गोताखोर सी और तू लगे है सींप सा
मैं जिज्ञासु तेरी खोज मे,
तू ठहरा अकेला शांत सा
जब उतरती हूं चुनने शब्दों के मोती, धरा के गर्भ मे
भीगती है तन संग ये रूह मेरी, स्पर्श से तेरे नीर के
ये लहर लहर से शब्द तेरे।-
मुश्किलों की आंच मे,
हवा बनके तू मुझे सहलाता
कभी गम की धूप मे,
दरख़्तो की छांव सा तू हो जाता
तू सब करके भी अकर्ता है,
और मै तिल भर बाँट के भी जग मे जताता
है मेरा वजूद तुजसे ही, एहसास तो है
फिर भी हर बार तुझे भूल जाता
थक हार कर जब कुछ ना पाता
तो बिलखते बच्चे की तरह तेरे आगे आता
फिर हर बार की तरह
तू कभी मुझे समझाता और कभी सिखाता
तू शरीर मे सीमित नहीं, ज्ञान का अनंत सागर है
जिसके प्रवाह मे बहता मै गोते लगाता ।-
कुछ मंज़िल को निकले है
कुछ मंज़िल से लौट रहे
कुछ पड़ाव पे थक के बैठे है
तो कुछ सफर के हो गए
कुछ नयी राहें बना रहे
कुछ पुरानी राहों को आत्मसात कर रहे
कुछ जी के कह रहे
तो कुछ कहके जी रहे
ये 'कुछ' और 'कुछ' की जो भिन्नता है
अंत मे सबके एक समानता है
किरदार अनगिनत और कहानियाँ बेशक़ अलग हो
पर हर बार कथाकार तुम ही हो...🌿
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A reminder to self; that things will eventually get better with time.
That every heartbreak, injury or wound makes a way for healing & in the process, time is a dear friend by our side.
That the process of healing takes us to the lane of deeper understanding with ourselves and around.
That everything is fleeting; our existence, the pain, struggles, chaos and emotions.
That time makes us learn how to carry our scars or wound wrapped in the layers of wisdom and how to flow with the alteration.
That someday we'll get out of this loop of misery and find the constant amidst the turbulence & become the same; the constant...✍️🌿-
मैं मज़हबों से परे, मैं बे-लिबास हूँ
कभी हूँ कबीर का दोहा, कभी ग़ालिब की दिल की आवाज़ हूँ
कभी फैज़ की गज़ल मैं, कभी कवि की ढाल हूँ
मैं शब्दो का ताना बाना, मैं एहसासों की मशाल हूँ...
ना किसी के हक़ मे कभी, ना किसी के खिलाफ हूँ
कभी व्यंग्य से भरा, कभी चेतना का संचार हूँ
मैं हर दौर का आईना और आवाज़ हूँ
मैं शब्दो का ताना बाना, मैं एहसासों की मशाल हूँ...
कभी हूँ किसी का संघर्ष, कभी किसी का बवाल हूँ
कभी किसी की उलझन मैं, कभी किसी का सवाल हूँ
किसी की महसूसियत, किसी के दिल का हाल हूँ
मैं शब्दो का ताना बाना, मैं एहसासों की मशाल हूँ...
हूँ गूँगे की आवाज़ कभी, कभी बागी की ललकार हूँ
हूँ किसी की वेदना, कभी किसी की पुकार हूँ
कभी इक सोच हूँ, कभी मोहब्बत का इज़हार हूँ
मैं शब्दो का ताना बाना, मैं एहसासों की मशाल हूँ...-
हूँ गूँगे की आवाज़ कभी, कभी बागी की ललकार हूँ
हूँ किसी की वेदना, कभी किसी की पुकार हूँ
कभी इक सोच हूँ, कभी मोहब्बत का इज़हार हूँ
मैं शब्दो का ताना बाना, मैं एहसासों की मशाल हूँ...-
कभी हूँ किसी का संघर्ष, कभी किसी का बवाल हूँ
कभी किसी की उलझन मैं, कभी किसी का सवाल हूँ
किसी की महसूसियत, किसी के दिल का हाल हूँ
मैं शब्दो का ताना बाना, मैं एहसासों की मशाल हूँ...-