धनुष यज्ञ
(परशुराम-लक्मण सवांद )
भाग-1
(अनुशीर्षक मे पढ़े)
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परशुराम जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
इक्कीस बार धरती से र्निदयी दुष्टों का संहार किया
अवतार लिया सम्पूर्ण मानवजाति का उद्धार किया-
कल क्या पता?
रूक जाए ये सफर और अंजाम में बदल जाऊँ।
आज बे-दाम हूँ क्या पता कल दाम में बदल जाऊँ।।
सलामी मिलेगी जब तक सुबह सा चमकता रहूंगा,
कोई नहीं पूछेगा अगर शाम में बदल जाऊँ।।
आज गुरुर है मुझे अपनी बादशाहत पर,
कल वक़्त बेवफाई करे और गुलाम में बदल जाऊँ।।
आज गंगा सा पावन जल हूं मैं,
कल शराब में घुलकर नशीले जाम में बदल जाऊँ।।
आज कलम उठाकर दे रहा हूं अमन का पैग़ाम,
कल उठाना पडे़ फरसा और परशुराम में बदल जाऊँ।।-
अक्षय तृतीया को जिनका जन्म हुआ है ,
माँ रेणुका के कोख की जो शान है ,
प्रभु का जो विराट अद्वितिय अवतार है ,
शिवभक्ति में जो हमेशा लीन रहते है,
क्षत्रिय भी जिनसे थर थर कांपते है ,
हम उन्हें ब्राह्मण पुत्र परशुराम कहते है !!
परशुराम जी जयन्ती की बधाई !!-
परशुराम जी की आरती लिरिक्स
ओउम जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।
सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी।। ओउम जय।।
जमदग्नी सुत नरसिंह, मां रेणुका जाया।
मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया।। ओउम जय।।
कांधे सूत्र जनेऊ, गल रुद्राक्ष माला।
चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक त्रिपुण्ड भाला।। ओउम जय।।
ताम्र श्याम घन केशा, शीश जटा बांधी।
सुजन हेतु ऋतु मधुमय, दुष्ट दलन आंधी।। ओउम जय।।
मुख रवि तेज विराजत, रक्त वर्ण नैना।
दीन-हीन गो विप्रन, रक्षक दिन रैना।। ओउम जय।।
कर शोभित बर परशु, निगमागम ज्ञाता।
कंध चार-शर वैष्णव, ब्राह्मण कुल त्राता।। ओउम जय।।
माता पिता तुम स्वामी, मीत सखा मेरे।
मेरी बिरत संभारो, द्वार पड़ा मैं तेरे।। ओउम जय।।
अजर-अमर श्री परशुराम की, आरती जो गावे।
पूर्णेन्दु शिव साखि, सुख सम्पति पावे।। ओउम जय।।
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जीते हैं शेरों की तरह,
भगवान हमारे विष्णु कहलाते हैं,
ऐसे तो हैं परशुराम के वंशज,
और लोग हमें भूमिहार बुलाते हैं !!-
राम लड़े खुद से बन कर परशुराम
खुद से खुद को जीत कर झुक गए श्री राम
खुद के क्रोध को खुद ही निगले है श्री राम
खुद के कर्म का खुद ही विरोध करे परशुराम
खुद की गलती पर खुद से ही शांत है श्री राम
खुद अपने शांत मन से विवाद करे परशुराम
खुद के आगे खुद के हाथ जोड़े श्री राम
खुद के आगे खुद को ललकारे परशुराम
बीच मे छोटा बोले तो हँसते है श्री राम
बीच मे छोटा बोले तो गुस्सा करे परशुराम
खुद की खुद से लड़ाई में दूजे का क्या काम
इसीलिए शांत है खुद से लड़ते लड़ते राम
खुद के सयंम के आगे घुटने टेक परशुराम
खुद के गुस्से को खुद के सयंम से जीते राम
खुद की खुद से लड़ाई में जीतते है शांत राम
खुद की शांति के आगे समर्पण करते है परशुराम
खुद से खुद की जीत का पर्याय है श्री राम
खुद के प्रति खुद का समर्पण है परशुराम-
जिसकी गौरव गाथा और फरसे से
स्वयं भगवान भी डरते है
हम उन्हीं भगवान परसुराम
के पावन जन्मस्थल पर रहते है-
सतयुग और त्रेता युग के प्रारम्भ दिवस, पवित्र माँ गंगा , माँ अन्नपूर्णा, ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार के अवतरण दिवस एवं अस्त्र, शस्त्र ,शास्त्र ,पराक्रम, बुद्धि, विवेकधारी ब्रम्हांड नायक दानवीर भगवान विष्णु के छठे आवेशावतार चिरंजीवी देवता परशुरामजी जन्मोत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
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