𝐑𝒂𝒗𝒊 𝑷𝒖𝒓𝒐𝒉𝒊𝒕   (कोई-रवि ( और कुछ नही ))
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Joined 21 September 2017


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कहते रहे कानो में उसके,
जा जाकर एक एक मंदिर
कभी सुना ही नही,
वो खुद क्या है कह रहा !

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शौक था कलम चलाने का,
मन की बातों को शब्दों में जताने का।
एक खाली किताब बन आया yourquote
पर सब पन्ने भर गए इसके और हो रहा mute
हम तो आवारा है बस लिखने से मतलब
पर जिसने कागज दिया लिखने को उसे हुई होगी उलफ़त
याद आएंगे जो यहाँ मिले साथ पढ़े और लिखे
और शुक्रिया इसे बनाने वाले का जो हमे कभी न दिखे

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क्षमा यस्मिंस्तपस्त्यागः सत्यं धर्मः कृतज्ञता ।
अप्यहिंसा च भूतानां तमृते का गतिर्मम ॥ ३३ ॥

जिनमें क्षमा, तप, त्याग, सत्य, धर्म, कृतज्ञता और समस्त जीवोंके प्रति दया भरी हुई है, उन श्रीरामके बिना मेरी क्या गति होगी ? ॥ ३३ ॥

वाल्मीकि रामायण,
अयोध्या काण्ड सर्ग 12 श्लोक 33।

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जो सूक्ष्म है वो सरंक्षित है
जो सूक्ष्म है वो ही सुरक्षित है
सूक्ष्म को कौन समाप्त करे
सूक्ष्म से ही सब सर्जन हुए
जिसने पा लिया स्वम् की सूक्ष्मता को,
उसे फिर किस बात का भय रहे।
~ ब्रह्म के सूक्ष्म अवतार वामन जयंती पर

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भटकटो हो इन्ने बिन्ने
जिया उड़े हवा सु किन्ना
डोर मिलगी कोई सांची पक्की
छोर पोछण खातर
के खुद मिली कि ठाकर भेजी
के ठा
पण डोर मिलगी सांची
उड़े भंवरा किट कीड़ा
के ठा किण फूल खातर
फूल मिलग्यो राह माया
बैठ्यो रस पीवण
उजियारो पथ मिलग्यो
भटकाव सु बचण खातर

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कुछ तो जादू है तेरे नाम मे!
मै सारी कहानी कह गया कोई कुछ न बोला।
आखिर में बस तेरा नाम क्या लिया,
तालियों से पूरा जमघट भर गया!— % &

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क्यो करो थो कोम खोटो ।
के धर्म के कर्म थाणो,
ई बात ने तो अब जाणो।
भिन्न भिन्न धर्म ग्रन्थ बणाया,
जाती वर्ग समुदाय बणाया।
आराधना करण आळा भी आराध्य खातर लड़े,
एक ही धर्म का एक ही धर्म सु भिड़े ।
अलग बतावे किताबियो पढ़ परा,
ज्ञानी विष्णु शिव राम श्याम ने,
पण देखो चार किताबां पढ़ वेदों में,
धरा सूर्य अग्नि वायु और पाणि
सगळा मिलसी देवो में।

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वो जो खुद अपने करम नही देखते,
कहते है ऊपर वाला सब देख रहा है।

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ख़ुशी हुई की आज कोई झगड़ा नही हुआ उनसे,
बस दुःख इस बात का,
की आज कोई बात नही की हमने!

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बहुत मिले सांत्वना देने वाले,
नही मिले तो बस साथ देने वाले।

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