लोग हो जाते हैं
घर-परिवार से
अलग-अलग शहरों में रुकने के ठिकाने,
कोई पता, कोई मकान।
एक पीढ़ी
अपने ही घर
हो जाती है किसी गेस्ट-हाउस की चौकीदार,
और अगली पीढ़ी के शहर में मेहमान।
बेधड़क छूटते हँसी और आँसू के फव्वारे
बिखर कर हो जाते हैं
आते-जाते रहने के न्यौतों की
औपचारिक मुस्कान।
ये कैसा बाज़ार है
जिसे बसाने में गली-मोहल्ले-शहर से रिश्ते तक
किराये पर चढ़ रहे हैं,
हो रहे हैं दुकान।-
Lafzo ka istamal hifazat se kariye,
Yeh perwarish ka behtarin saboot hai.-
साहेब जब रिश्ते टूटने होते है
तो सबसे पहले लोग नजरंदाज
करना छोड़ देते है
क्योंकी जब बांध टूटने वाला
होता है तो सबसे पहले दरार
आना शुरू हो जाती है-
If clothes could speak then
we have many advantage's.
clothes will clear they are not responsible
for the wrong think
People can't measure your
status who you are
If clothes could speak people
watch your heart before
watching you-
गलती लोगों की नहीं गुनहगार तो हम हैं
हर बार जानबूझ कर चोट पहुंचा देते हैं
ख्वाहिश तो होती है खुशियों से झोली भरने की
पर हम उनके सुकून को ही आग लगा देते हैं
उनके मोहब्बत में कमियां तो नजर नहीं आती
हम ही नहीं काबिल अपनी हरकतों से बता देते हैं-
Shakal kitani hi khubsurat ho
Vayavaher mayene rakhta hai...
Vicharon ki shudhata ,Deh ki pavitrata
Sanskaro ka adhar mayene rkhta hai...
Jese Shrishti ke nirmaan me
Sansaar mayene rkhta hai...
Vese Pawan charitar ke nirmaan me
Parivaar mayene rkhta hai...-
रिश्तों के फूल आंगन में खिले हो जाहिर है घर में सौरभ रहे
मां बापू सुखी हो घर में जब तक बना घर का गौरव रहे
परछाई कहता है कोई अपना तो सच में परछाई बनें
तकलीफ के कांटे नहीं घर में खुशियों की शहनाई बनें
तकलीफ हो फिर भी हमारे चेहरों पर मुस्कान रखते हैं
हमारा वजूद कुछ नहीं इन्हीं से अपनी पहचान रखते हैं
बापू कभी जाहिर नहीं करते पर प्रेम बेशुमार रखते हैं
मां घर दिल में बापू कांधौ पर पूरा परिवार रखते है
साथ अपना ही रहेगा सफर में ज्यादा जमाना न रहेगा
कामयाबी हमें मिलेगी पर उनकी खुशी का ठिकाना न रहेगा
तसल्ली जरूर देता होगा ये जमाने का अक्सर साथ रखना
पर हौसला बढ़ा जाता है किसी अपने का सर पर हाथ रखना
चंद लफ्ज़ कह देने से जाने कितने रिश्तों को खोते देखा है
न कदर करने वालों को वक्त निकलते अक्सर रोते देखा है
बड़ा तो किसी का भी नहीं पर जरूरी है अपना छोटा संसार होना
दुनिया की हर दौलत क्यूं न हो पर जरूरी है अपना परिवार होना-
भरी महफिल में अल्फाज कम पड गये
जब कुछ शख्स परिवार तो कुछ जिगरी यार बन गए❤-
ज़िन्दगी का फ़ैसला है मेरा, क़लम ज़रा सोच कर चलाना।
जो अपनों के ही गले काट दोगे तो फिर बाद में न पछताना।
उसकी इसकी किसकी कितनी सोचोगे और परवाह करोगे।
पता है होनी की ख़ूबसूरती क्या है? उसका बस हो जाना।
मुझे अच्छा लगता हैं मेरे अपनों के दिए हुए ज़ख्मों को देखना
बाकि उनकी क्या ही बताऊँ साथियों उनको प्रिय है अक्सर।
आकर के मेरे उन अनगिनत ज़ख्मों को कुरेद कर चले जाना।
मेरी बातें क्या ही सुनते हो आप सब मैं ठहरा पगला दीवाना।
मुझे तो जो भी दिखता है कह देता हूँ अच्छा लगे या बुरा।
मुझे होशियारी कहाँ समझ आती, नहीं जानता अफ़साना।
कल के लिए नहीं सोचता हूँ मैं, आज सब कुछ करता हूँ।
मेरी बातों का मतलब मत निकालना दोस्तों कुछ नहीं आना।
मेरा हालएदिल जानकर भी जो मेरा दिल दुखाते है दोस्तों।
उन महानुभावों का क्या ही करना क्या कह के क्या बताना।
लगा वक़्त बदल गया है पर मेरे अपने बदल गए हैं "अभि"।
फ़ैसला ये निकला तेरा नाम तन्हामुसाफ़िर है भूल न जाना।-
दूर होते रिश्ते बताते हैं कि साथ रहने के प्रयास में कमी है।
निश्छल निर्मल हृदय में आजकल अंतर्द्वंद्व की काई जमी है।
शायद अब रिश्तों की गर्माहट कम होती जा रही है साथियों।
इसलिए तो देखो न आज कल अपनों की आँखों में नमी है।
लगता हैं अब वो एक दूसरे से मन की बातें नहीं करते हैं।
इसलिए तो उनके बीच में उनकी आत्माएँ सहमी हुई है।
अब बस नाम के ही लोग एक दूसरे के रिश्तेदार रह गए हैं।
जब भी देखो तो ऐसा लगे कि अभी अभी गहमा-गहमी हुई हैं।
अब वो चॉकलेट, लेमनचूस वो बंबई मिठाई लेकर मामा नहीं आते।
बच्चों में गर्मी छुट्टी में नानी घर जाने की इच्छा की बड़ी कमी हुई है।
वो पार्क, वो चिड़ियाघर, वो ताल-तालाब अब सूने सूने से रहते हैं।
मोबाइल में सब कुछ मिल जाता हैं बच्चों को ये ग़लतफहमी हुई है।
दादा-दादी नाना-नानी की बातें अब तो सबको बोरिंग लगती हैं "अभि"।
चिल करना, कूल बनना पसंद है, आँखों पर मोर्डन धूल जमी हुई है।-