लोग हो जाते हैं
घर-परिवार से
अलग-अलग शहरों में रुकने के ठिकाने,
कोई पता, कोई मकान।
एक पीढ़ी
अपने ही घर
हो जाती है किसी गेस्ट-हाउस की चौकीदार,
और अगली पीढ़ी के शहर में मेहमान।
बेधड़क छूटते हँसी और आँसू के फव्वारे
बिखर कर हो जाते हैं
आते-जाते रहने के न्यौतों की
औपचारिक मुस्कान।
ये कैसा बाज़ार है
जिसे बसाने में गली-मोहल्ले-शहर से रिश्ते तक
किराये पर चढ़ रहे हैं,
हो रहे हैं दुकान।-
Lafzo ka istamal hifazat se kariye,
Yeh perwarish ka behtarin saboot hai.-
इतने साल बीत गए कभी परिवार के
साथ बैठ कर रोटी नहीं खाई थी
आज अहसास हुआ कि जीवन भर कि
कमाई मैंने व्यर्थ ही गवाई थी
हाँ खाना तो हमेशा गरम ही खाया था
मेरी वजह से पत्नी ने जिंदगी भर
आग कि गर्मी में पसीना बहाया था
उस गर्मी ने कुछ खुशियों को झुलसाया था
क्यों कि जीवन साथी के साथ बैठ कर
कभी खाना ही नहीं खाया था
पूरी उम्र उस ने भागते हुए मुझे खाना परोसा था
कभी कभार स्वाद अच्छा ना हो तो मैंने उसे कोसा था
जिंदगी कि दौड़ में याद ही नहीं कि
उस को मैं जीवन साथी बना कर लाया था
पर मेरे जिद्दी रवैये ने, उसे साथी न
होकर दासी कि तरह बनाया था
वो हमेशा मेरी ओर से सम्मान कि हक़दार थी और
मैंने हमेशा लोगों के बीच उस का मज़ाक बनाया था
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ना जाने क्या हाल होगा उस घर का
जिसका लाल सरहद पर तैनात होगा
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कितनी मन्नत मागती होगी वो मां
जिसे पता है उसका लाल हररोज
मौत की कलाई मोडता होगा...
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कितने सावन बरसे होंगे उस बहन के
नयन से जिसे पता है उसका भाई हर
वक्त लहू की होली खेलता होगा..
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उस फौजन का तो क्या कहना जिसने
कई करवा चौथ उसके फौजी की
तस्वीरों के सहारे गुज़ारे होंगे....
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वो पिता कैसे हर दिन काटता होगा
जिसका कुलदीप फौजी बना होगा
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भरी महफिल में अल्फाज कम पड गये
जब कुछ शख्स परिवार तो कुछ जिगरी यार बन गए❤-
❤... Jindagi ... Dosti ... Mohobbat ...❤
Hamari Jindagi Mai ... ❤
Parivar Hoti Hai ... 👨👩👧👦
Dost Bhe Hoti Hai ... 👬 👭 👫
Mohobbat Bhe Hoti Hai ... 💑
Lekin , Jab Mohat Aati Hai ... 💘
Tab Sab Kuch Bekar Ho Jaati Hai ... 😕
Kyonki , Hame Jindagi Se Jo Bhe Milte Hai ... ❤
Un Mai Se Hamari Karma Ke Alava , 🙏🏻
Kuch Bhe Hamare Sath Nehi Jaati Hai ... 🙏🏻-
Shakal kitani hi khubsurat ho
Vayavaher mayene rakhta hai...
Vicharon ki shudhata ,Deh ki pavitrata
Sanskaro ka adhar mayene rkhta hai...
Jese Shrishti ke nirmaan me
Sansaar mayene rkhta hai...
Vese Pawan charitar ke nirmaan me
Parivaar mayene rkhta hai...-
एक पान , जिदे चडा ,हो गया वह निज अपने परिवार से दुर,
पेड़ से दूर होकर वह बहुत ही ज्यादा खुश था,
छुटे हम इस भीड़ से, मन ही मन वह मलकाता है,
हवा के साथ बहते-बहते चारों और लहराता है,
दुनिया बहार कि बहुत ज्यादा सुंदर है!! उसे मन में एसा होता है,
पेड़ पर तो रहे चिपककर वहाँ ऐसे कहा घूमते हैं,
वहाँ तो बस दुसरे आके मेरे साथ रोज ठुकराते हैं,
यहाँ हवा के संग मजे से उडक़र जाते हैं,
और झरने के साथ मिलकर मधूर गीत गाते है,
पाणी के साथ उछलते और कूदते वह मलकाते है,
पर.. सुख सिर्फ पल दो पल का है
वो उसे कहा समझमें आता है,
झरने में से बहकर जब वह किनारे पर पहूंच जाते हैं,
जानवरों के पैरों के नीचे जब वह कूचल जाते हैं,
पीड़ा से दुखी होकर बहुत ज्यादा पछताते हैं,तब जाके..
पेड़ से जुड़े रहने का मूल्य उसे समझ में आता है,
आजादी अच्छि लगती हैं सबको पर बहुत मूल्यवान साबित होती हैं,
संयुक्त कुटुंब परिवार बंधन नहीं.. पर जीवन का सच्चा पर्याय है..
_v_p@rm@r
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दम निकल रह था अपने ही घर मोहल्ले मे..
मोहल्ला घर मे था और घर मोहल्ले मे..!-