हम परदेसी क्या हुए ये शहर ही आपका हो गया।
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जब उनकी वापसी हुई तब हमारी रवानगी हुई। लगता है परदेसी होने की सजा पाई है।
जो मोहब्बत ही नहीं अपनों से भी जुदाई हुई है।
—✧Rujhym Kashyap✧-
परदेसियों से कभी दिल ना लगाना...
वह तो कुछ दिन के लिए आते हैं...
फिर वह अनजान हो जाते हैं.
जाते जाते दिल तोड़ जाते है ..-
एक तेरे ही पुकार में सच्चाई थी मां।
जिसने वापसी करा दी अपने वतन की।
Love you mom...
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कहते थे वो कि हमारे शहर में बेवफाई बहुत है
आना कभी हमारे शहर दिल वालों से भी मिलवाएंगे
कैसे निभाते हैं मोहब्बत ये तुम्हें जरुर सिखाएंगे
और जो तुमने हमारी वफा का सिला दिया है ना उसका अहसास जरुर कराएंगे।-
अंखियां लड़ जाती हैं क्यों बेदर्दी से
ये दिल मिल जाते हैं क्यों परदेशी से
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उम्मीदों को तू अपनी यु ज़ाया न कर,,
परदेसी हैं वह, आमद का उसके इंतज़ार न कर...
पहले से ही उदास है तू "जानां",,
दिल अपना यूँ फिर बेक़रार न कर...-
मौत हो गयी उसकी उलझन की नगरी में
तुम ठहरे परदेसी मय्यत की शहर में।-
चुन-चुनकर उमंगों को
फिर ख्वाइशों का बागबां बनाया..!
मुस्कराहट खिलाते मुख पर
बिना सींचे ही मायूसी सजा गया..!
देखो न वो परदेसी
मेरे फूल से दिल को पत्थर समझ गया..!-