कुछ बातों से अनजान बने रहना ही अच्छा है
सब कुछ जान लेना भी ह्रदय को पीड़ा देता है।-
ये जो तुम खो रहे हो मुझे किसी और के लिए अगर वो भी तुम्हारा ना हुआ तो क्या करोगे।
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वहम था, मुक्कमल जानते होंगे वो हमे
उन्हे तो हमारी पसंद नापसंद का ही ख्याल नहीं।-
कुछ और था वो दौर जब वो हमारी खामोशियां भी पढ़ लेते थे, अब तो शब्दों के भी मायने बदल गए हैं।
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सुनो,
बहुत कुछ है कहने को फुरसत हो तो सुनोगे क्या
दिल में छुपा रखे हैं जो खत उन्हें पढ़ोगे क्या
तुम तो मशरूफ रहते हो, गैरों को मनाने में
थोड़ा वक्त मेरे लिए भी दोगे क्या
अच्छा छोड़ो ये बातें
तुम्हारे साथ कुछ सपने देखे हैं, हकीकत बनाओगे क्या
चलो तुम ही बताओ, कुछ पल साथ बिताओगे क्या
कुछ पल साथ बिताओगे क्या।
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रोकते भी तो कैसे रोकते तुम्हे
चले जाने का फैसला,
तुमने दिल से किया था,
शब्दों से नहीं-
कहा था ना भूल जाओगे एक रोज,
ना जाने कितनी शिकायतें थी तुम्हें इस बात से।-
आसान होता है क्या, गैरों से दिल लगाना
आसान होता है क्या, अपनो को भूल जाना
अपना ये हुनर हमे भी सिखा दो, जो तुम यादों में ना आओ ऐसी कोई तो रात ला दो।-