सुनो, बहुत कुछ है कहने को फुरसत हो तो सुनोगे क्या दिल में छुपा रखे हैं जो खत उन्हें पढ़ोगे क्या तुम तो मशरूफ रहते हो, गैरों को मनाने में थोड़ा वक्त मेरे लिए भी दोगे क्या अच्छा छोड़ो ये बातें तुम्हारे साथ कुछ सपने देखे हैं, हकीकत बनाओगे क्या चलो तुम ही बताओ, कुछ पल साथ बिताओगे क्या कुछ पल साथ बिताओगे क्या।