Mausam v ajeeb si hai .... kbhi barrish.. tou kbhi dhup ki kaher hai.. Barrish me tumahri yaade....or dhup me yadd aata wo apna picche chhuta sa sahar hai...
वर्षों गुजारे हैं मैंने अब चाह है तुमसे मिल जाने की तुम्हें अपने दिल की सारी दशा सुनाने की तुम संग तुम्हारे दुनिया में खो जाने की बस अब तुम्हारे बिना गुजारे हर पल की भरपाई कर जाने की...