बादलों के बीच है घर तुम्हारा
खुदा से रोज़ मिलते हो क्या ....तुम... ?
©️LightSoul-
उस जहांँ में मिले ना मिले...
हंँसकर कर दो तुम आज विदा...
दिया तुमने दुखों का पहाड़ मुझे...
पर है दुआ की खुश रहो सदा...-
बादलों की गोद में...
या समुद्र की गहराइयों में...
जलती तपती रेत में...
या पहाड़ों के बीच खाइयों में...
कहीं भी तू बुला ले...
सजनी, मैं जरूर आऊंँगा...
महज एक जन्म तक नहीं....
ये रिश्ता मैं हर जन्म निभाऊंँगा...-
इन पहाड़ो पे जाके तेरा नाम चीखता हु,
कम्भख्त ये भी दो तीन बार बोलके चिड़ाते है मुझे।।।-
😊♥️लोग मुझे पत्थर दिल कहते हैं😊♥️
♥️😊तो मैं सोचा उनके लिए भी कुछ लिख दूँ♥️😊
कहते हैं पत्थर दिल रोया नहीं करते
कहते हैं पत्थर दिल रोया नहीं करते
तो फिर पहाड़ो से झरने क्यों बहा करते हैं
तो फिर पहाड़ो से झरने क्यों बहा करते हैं-
इस गर्मी में दिल्ली जलती है
जलती दिल्ली से बच निकलूँ में
मुझसे मेरे पहाडों की ठंडक आकर राहों में
कुछ इस कदर गले लगती है
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बहाव में बहकर समुद्र में गिरने के लिये आपको प्रयास नहीं करना पड़ेगा।
पर बहाव के विपरीत पहाड़ पर चढ़ने के लिए पूरा का पूरा का जोर लगाना पड़ेगा।-
रौशन दिल से जहां होगा ..
सूरज में चांदनी सा शमा होगा
पानी समुंदर का मीठा होने लगा है
रोया बादल शायद हस्ता खिला गिरा होगा..-
पहाड़ों से उतरती धूप पर जरा गौर करना
जिस्म भी तेरा उसी मानिंद वजूद रखता है,
वादियाँ भी जवां नहीं रहती हर एक मौसम में
निशां नहीं मिलते जवानी के भी एक उम्र के बाद !
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