पानी स हो गया मन ,
नहीं रुकता अब कलम ।-
Dariya-e-ishq se uske
bujhti thi pyas meri !
Ke Aaj bhi paani ki hasrat ho
to tum Yaad Aate ho !!-
अपने सुनहरे बालों में...
जब गजरा वो लगाती हैं...
ऐसा लगता है मानो...
पानी में आग लगाती हैं...-
उनके आंँसू "आंँसू"...
मेरा "आंँसू" पानी...
उनका इश्क "इश्क"...
मेरा इश्क "कहानी"...-
मैं पानी हूंँ...
तो प्यास हो तुम...
मैं "काश" कोई...
तो "आस" हो तुम...
मैं धड़कन हूँ...
तो सांस हो तुम...
जो ख़त्म ना हो...
वो एहसास हो तुम...
एहसास हो तुम...-
या यूं बरस कर कहना चाहते हो कुछ हमसे
कहीं तुमने पानी से बाढ़ का मंज़र बन दिया
तो कहीँ तुमने पानी का काल कर दिया
आखिर प्रकृति का कैसा कहर है ये
जो रोके से भी ना रुके
पानी से ही है ये सृष्टि
बिन पानी जग ना संसार
तुम इतना भी मत बरसो की
की लोगो की ज़िंदगी तक उजड़ जाए
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Baarish ke paani ka
koi rang nahi hota
Fir bhi vo fizaaon ko
Rangeen bna deta hai..
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आग और पानी सा तेरा....................... मेरा नाता ,,
गर्म मिजाज है उसका मुझें गुस्से में मुस्कुराना है आता,,-
इन पानी की लहरों ने रोने से बचाया
मेरे अश्कों को उनका होने से बचाया
आप तो छोड़ गए थे
इन पानी की लहरों ने ही जीना सिखाया-