तुमने पिंजरा तो खुला छोड़ दिया है लेकिन
माफ़ करना मैं अब आज़ाद नहीं हो सकता-
मनमौजी
(मनमौजी)
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मैं दिल का बोझ हल्का कर रहा हूँ
बहाना कर रहा हूँ शायरी का
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मैंने लिखी सिर्फ़... read more
बहाना कर रहा हूँ शायरी का
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Joined 26 December 2018
23 JUN AT 23:45
तुझ को पाने का हर इक जतन कर लिया
थक के नियति को अपनी नमन कर लिया
जब अधर तेरी तृष्णा से व्याकुल हुए
हमने यादों का फिर आचमन कर लिया-
9 JUN AT 15:30
धरोहर है ये दिल खंडहर हमारा
महल था ये किसी राजे श्री का
इलाही माफ़ करना हो सके तो
किया है पेशतर सज़दा किसी का
ग़ज़ल केप्सन में …..-
21 MAY AT 7:37
अपने अपनों को अपना बनाते हुए
थक गया हूँ मरासिम निभाते हुए
मुझ से दर्द ए मुहब्बत का गिर्या न कर
रो पड़ूँगा तुझे चुप कराते हुए
एक दो बार रसमन उछाला भी था
मौज ए दरिया ने हमको डुबाते हुए
कैसे रुक पाएगा टूटी गगरी में जल
मैंने सोचा भी था तुमको पाते हुए
उसको पाने की ख़ातिर उसी से लड़े
फिर विदा कर दिया मुस्कुराते हुए-
9 MAY AT 12:35
ज़रा ठहर कि मैं जी भर के देख लूँ तुझ को
बिछड़ रहे हैं दुबारा मिलें, मिलें ना मिलें-
1 MAY AT 17:11
ख़ुदसर हैं,ख़ुद ग़रज़ भी हैं ‘मौजी हक़ीक़तन
वैसे नहीं हैं जैसे तेरे वास्ते रहे-