इन दिनों
कुछ अजीब सा मंजर है
कल तक जिनके कदम
नहीं ठहरते थे,घर पर
आज कोरोना से बचकर
दुबके बैठे हैं, घरों पर-
दिल रोता कयुँ है ऐसा होता क्युं है???
क्युकी,,, इस दिल का काम ही ऐसा है!!
पहले कहीं पे भी,, कीसी पे आ जाता है!
और यकीन में धोखा भी जल्द खा जाता है!
, , ,,,,,उलटे सीधा काम करके,,,,,,
, , ,,,,,टूट ता भी है रोता भी है! ,,,,,-
ख्वाबों के शहर
अनजानी डगर
मेरा यकीं
इंतज़ार तेरा
मेरा दिल
बेज़ार तेरा
सब कुछ तेरा
ओर तू मेरा
होने दे गुस्ताखियाँ
बढ़ने दे नजदीकियाँ
चाँद ढलने लगा है
सूरज मिलन को
कल फिर आना
ख्वाब बनकर-
हँसते मुस्कुराते रहिए
गुब्बारों की तरह गम को उड़ाते रहिए
खुशियां बटोरते रहिए
लोगो में बांटते रहिए-
उंगली पकड़कर चलना सिखाया है मुझे।
खुद भले ही भूखी रह जाए पर खिलाया है मुझे।
दुनिया की बुरी नजरों से छुपाया है मुझे।
थक जाऊं गर तो गोद में सुलाया है मुझे।
सारे जहां का प्यार दिया है मुझे ।
खुद की पहचान से तूने बनाया है मुझे ।
सर उठा कर जीना तूने सिखाया है मुझे।
सही गलत का फरक सिखाया है मुझे।
मेरी प्यारी मां तू ने ही तो दुनिया में बुलाया है मुझे।
मेरी प्यारी मां तू नहीं तो जीना सिखाया है मुझे।-
कल जाउंगी मैं मंदिर और करुंगी पृभु के
दर्शन पृभु जी देंगें मुझे वरदान
कल मैं जाउंगी अनाथालय और बच्चों को प्यार
करुंगी कल करुंगी ऐसा कल करुंगी वैसा
सोच सोच मे हो गई भोर से सांझ पर वही
(ढाक के तीन पात) यानि ना कल आया ना
कोई बात बनी ..
काल करें सो आज कर आज करे सोई अब
पल मे परलय होयगी फेर करेगा कब-
সূর্য ঢলে
পশ্চিম আকাশে।
গ্রামের মেঠো পথ ধরে
রাখাল ছেলে ঘরে ফেরে
সন্ধ্যার মৃদু প্রকাশে।।-