रोकता तो हूं खुद को पर रोक कहां पाता हूं
जब भी तेरी याद आती है तेरे शहर चला आता हूं
तेरे उस शहर में एक छोटा सा दिल है मेरा
उस दो पल की मुलाकात मे दिल का सुकून ढूंढ लाता हूं।
तुम्हारे शहर की हवा में मैं तुमको महसूस करता हूं
अक्सर खयालों में बातें तुमसे बेहिसाब करता हूं
पर देखकर तुमको सामने यूं खामोश हो जाता हूं
जब भी तेरी याद आती है तेरे शहर चला आता हूं।
यें तुझमें लिपटा मेरा इश्क ही तो है जो तू मेरे करीब है
वरना तेरा यें शहर तो दूरियां बहुत दिखाता है
इतना बदनाम हूं तेरे शहर के नाम से जाना जाता हूं
जब भी तेरी याद आती है तेरे शहर चला आता हूं।-
मैं लखनऊ भी रहा हूँ और उरई भी,
तू से हम, हम से तू होते बहुत देखा है!!!-
दर्द, धोखा और चोट ,
मुझे इनमे फ़र्क़ तो नहीं मालूम,
पर जो भी है,
मिला तुमसे ही है।।।💔-
बिठा कर तुझको डोली में एक इंसान ले जाएगा
छुड़ाकर तेरा यें आंगन तुझको कोई अंजान ले जाएगा
जिस आंगन में तूने खेले हैं कई खेल खिलौनों से
अजनबी शहर का लड़का आंगन की मुस्कान ले जाएगा।
जिस शहर की गलियों में तू रोजाना दौड़ लगाती है
डाल का सर पर दुपट्टा पूरा बाजार घूम आती है
अब यें गलियां और तेरा पूरा बाजार छूट जाएगा
अजनबी शहर का लड़का आंगन की मुस्कान ले जाएगा।
जिंदगी का क,ख,ग तूने जिस शहर में रहकर सीखा है
बनाएं है बहुत से रिश्ते जिन्हें अपने संस्कारों से सींचा है
छुड़ाकर वो सारे रिश्ते तुझे नए रिश्तो में ले जाएगा
अजनबी शहर का लड़का आंगन की मुस्कान ले जाएगा।
तेरा ये शहर अब बस यादों का शहर बन जाएगा
तेरा ही घर तुझको अब हर बार चिढ़ाएगा
तु कुछ दिनों की मेहमान है यें हर बार तुझे बताएगा
बांधकर सात वचनों में तुझे अजनबी शहर का लड़का ले जाएगा
Ria-HuL ❤️-
चालाकियां ही तो थी उनमें
जो पूरे शहर को दीवाना बना रक्खा था
इश्क़ की बाते आती थी उन्हें खूब
पर सच्चे इश्क़ से उन्होंने नाता तोड़ रक्खा था-
धर्म-धर्मादर्थः प्रभवति धर्मात्प्रभवते सुखम् ।
धर्मण लभते सर्वं धर्मप्रसारमिदं जगत् ॥
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हम तो नादान थे की महोबत कर बैठे
हमे कहा पता था हम सिफ खिलौना थे उनके लिए-
Dedicate to best friend
जब हादसा हुआ था *दिव्य* के साथ
तो सब जानने वाले आये
*एक सच्चे दोस्त में पूछा*
क्या क्या नुकसान हुआ है...?
दिव्य - *सब कुछ खत्म हो गया*
बस मैं बचा हूँ
*उसने गले लगाकर कहा**
तो फिर कुछ खत्म नही हुआ है**
<GOD_GIFT>💝
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