मानवता के शब्द शब्द तब फूट-फूट रोये होंगे
जब माँओं के आंचल भी बेटों के सर खोये होंगे
हाथों के कंगन , पैरों की पायल भी रोई होगी
कैसे वो विधवायें घुट-घुट रातों को सोई होंगी
कैसे भूली होंगी खत में फूलों की पंखुड़ियां
नन्ही गोलू बोल रही थी कब लाओगे गुड़िया
विरह दिलो पे बीती जो कैसे सह पाती होगी
हसकर कैसे नन्हे बच्चों को समझाती होगी
सोचती होगी अंतिम पल में क्या क्या हुआ रहा होगा
देखी होगी तस्वीर प्रिये फिर माथा चुम लिया होगा
घर की यादें झट समेट, फिर डटकर युद्ध किया होगा
तिल-तिल लड़ मरने तक कोई कसर नही छोड़ी होगी
दुश्मन जब तक जिंदा होगा ,सांस नही तोड़ी होगी
फिर प्रणाम कर धन्य-भूमि को इससे लिपट गया होगा
शौर्य कथा का इक पन्ना झंडे में सिमट गया होगा
आया होगा जब वापस , गलियों में अपने गांव की
रो दी होगी लिपट के उससे मिट्टी पीपल के छांव की
अर्धांग हुआ बलिदान अर्धांगिनी रो देती होगी
पर आंखे रुक जाती होंगी सामने जब बेटी होगी
बूढ़े बापू बिना सहारा कैसे चल पाते होंगे
एक जगह ही यादों में घण्टो रह जाते होंगे
बहना को भी भइया तेरी याद बहोत आती होगी
राखी वाले हाथों को खोकर डर जाती होगी
पर उनका अभिमान तिरंगा देख के ही वो जीते है
देशभक्ति की अमृत खातिर विष घुट घुट कर पीते है
उन मांओं के चरणों मे शत-शत नतमस्तक हु मैं
जो अपने टुकड़े को भारत माता को देती होंगी-
तुमको लिख सकूं मैं पूरा
इतना होनहार थोड़े हुं,
...........Dhruv हुं
कोई गुलजार थोड़े हुं ..।-
Don't stop.
You can be successful, but you will never be perfect.-
"ഈ ലോകത്തിലെ ഏറ്റവും ശക്തമായ ആയുധമാണ് സ്നേഹം, അത് ആരിൽ നിന്നും തട്ടിയെടുക്കാൻ കഴിയില്ല"
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Khushiya sath chord gai tu jab mera dil tod gai kya baya kare vo pal ab to ruh bhi sath chord gai....
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"ये लम्हा कुछ खास है, बहन के हाथों में भाई का हाथ है, ओ बहना तेरे लिए मेरे पास कुछ खास है, तेरे Birthday हे आज बड़ा सा Gift लाया हूँ, तेरा भाई हमेशा तेरे साथ हैं."
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Kabhi Kabhi Rishto Ko Unsuljha Hi Rhne Dena Chahiye
Nhi To Log Apko Kamjor Samjne Lagte hain.-
मान लिया लिखने की "प्रवृत्ति"
हर किसी मे नही होती है,
मगर जिनका "इश्क़" अधूरा
रह गया हो वहलोग क्या करेंगे जनाब।
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কবিতাৰ প্ৰেম
এই কবিতা বোৰ যে মোৰ বৰ প্ৰিয়।
শুনি, পঢ়ি,লেখি বহুত ভাল লাগে।
আৰে বাবা আজি ভাল হোৱা নাই,
কালিলৈ তো ভাল হ'ব।
হাহিচে হাহক চিন্তা কিহৰ।
আজিও টো জীয়াই আছে দুই এক পুৰুধা ব্যক্তি
আজি শুনা নাই কালিলৈ টো শুনিব।
মনত আদম্য হেপাঁহ
তেজত কবিতাৰ স্তবক।
এইবোৰে আমাৰ জীৱন।
য'লৈ খোজ দিও তুৰন্ত গতিত
উৰিফুৰে হাজাৰতা কবিতা।
চিগাৰেট ৰ ধোঁৱা বোৰৰ মাজতো
বিলিন হৈ হাজাৰ টা কবিতা,
কবিতা জনাবোৰে পঢ়ে
নজনাবোৰে.......।
-পবিত্ৰ নাথ/7637924496-