माननीय,
अ ब स।
महोदय,
हमारे द्वारा स्थापित सभी प्रकार के चल व अचल व्यवसायिक संबंध तत्काल प्रभाव से खत्म किए जाते हैं। बकाया धनराशि दो दिन के अंदर संबंधित खाते के अंदर पहुंचाने का निर्देश पास किया जाता है। इससे ज्यादा समय लेने पर उचित दंड की व्यवस्था की जाएगी। दोषी को घर से उठाने व परिवार वालों को आपके कर कमलों से अवगत कराने जैसे विकल्प शामिल हैं।
भविष्य में संबंध केवल हास्य मीम भेजने तक ही रहेंगे। आपके साथ बिताए पल सुखद, दुखद व मूर्खतापूर्ण रहे।
किसी भी सूरत में आपकी याद नहीं आएगी। अगर आई तो हमारा दुर्भाग्य होगा।
आशा करते इसी प्रकार अपना बेड़ा गर्क करने का बेहतरीन कार्य जारी रखेंगे व आगे चलकर खुद, परिवार का, हमारा और गांव का नाम डुबोएंगे।
जयहिंद जय भारत।
चंद धनराशि की चाह में,
आज का भोला युवा।
(एक प्रति दोषी के इंस्टाग्राम हैंडल , व बाकी की उचित समय आने पर विभिन्न जगह भेजी जा सकती हैं।)-
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प्यार का बीज बड़े यत्नों से बोया था,
दिल्लगी के फूल की ही बस चाहत थी।
रिश्तों का वो 'अंकुर' फूटा था,
भरोसे की जड़ ही हमारी इबादत थी।
मामला कुदरत का था,
समय लगना तो वाज़िब था।
लेकिन उसे बड़ी जल्दी थी,
तभी तो पौधा उखाड़ फेंकना लाज़मी था।
हम तो समेट रहे थे अपने टूटे पत्तों को,
तभी देखा, उसका दूसरा फूल खिलना कुछ आगामी था।-
दिल ये उछलता है!
तेरी ही ओर झूलता है।
लेकिन इज़हार कैसे करें?
नज़रें ये मचलती हैं!
तुझमें ही उलझती हैं।
लेकिन आंखे चार कैसे करें?
होंठ ये कांपते हैं!
तुझे ही चाहते हैं।
लेकिन मुलाकात कैसे करें?
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Silence is the solution
to all my problems
and sometimes it is
the problem itself.
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ये शरीर दिमाग़ के
चंगुल में फंसा रहता है।
नींद मिलती नहीं
ये दिमाग़ दिल की
ख्वाइशों में उलझा रहता है।
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नए-नए नहीं आए हैं इस जंग में,
एक दौर था, जब हमने भी इश्क़ के कई राज़ खोले थे।
चाहे तुम कहीं भी मुस्कुराओ अब,
लेकिन भूलना मत, हमने भी कभी तुम्हारे आंसू पोछे थे।-
हमने सिर्फ़ तुम्हीं का देखा सपना।
हालात चाहे कैसे भी हुए
तुम सिर्फ़ मेरी ही बाहों में रहना।-
जब यहां बात ही दिलों की होती हो ,
तो फिर दूसरों के इश्क़ में फ़र्क क्यों करना।
तुम्हें कुछ और पसंद है और उन्हें कुछ और,
फिर संस्कृति के नाम पर उनके हक का गला क्यों घोंटना ?
#pride #lgbtqiapk
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