मसर्रत से भरा "नशेमन" मेरा "सदाएँ" देता है आपको,,,,याद करता है "दुआएँ" आपकी !!!
-
2122 1122 1122 22
खो गए वो कहाँ जो साथ थे चलने वाले,
देख ऐसे हमें ख़ुश हैं यहाँ जलने वाले।
इश्क़ के ग़म में हुए चूर हैं देखो अब वो,
ग़र आ जाये ख़ुदा भी,तो न सँभलने वाले।
हर बुरे काम का अंजाम बुरा होता है,
पैसे रिश्वत में लिए हैं नहीं फलने वाले।
ग़र तरक्की ये हमें जल्द मिली है तो फिर,
हैं निगाहों में बड़े लोगों की खलने वाले।
हम नशेमन को बचा कर ही रहेंगे"मीना",
डरते कब हैं जो हों तूफ़ान में पलने वाले।-
ऐ सबा,
जरा उनके नशेमन पर तो जा,
जा कर उनकी खुशबू तो साथ ला,
पर सुन तो जरा,
जाकर पहले उनकी पेशानी का बोसा लेना,
फिर बड़े प्यार से गले लगाना,
फिर सर्गोशियों में,
उनको मेरा पैग़ाम देना,
फिर जो भी कहें,
आकर मुझे बताना!!-
कितना ख़ूबसूरत है, नशेमन ये हमारा।
बिख़र न कहीं जाए कहीं, ख़्वाब ये प्यारा....!!
-
ऐ सबा,
जरा उनके नशेमन का पता तो ढूँढ आ,
कुछ दिनों से, उनकी कोई ख़बर नहीं,
ज़रा उनकी ख़ैरियत तो पूछ आ!!
-
उसी गली में था घर उसका भी
जिस गली में हम रहते थे
उसी दिल मे था नशेमन गैरों का भी
जिस दिल को हम अपना समझते थे
-
भटक रहे थे
जिसकी तलाश
में वर्षों से
कभी सोचा ना
था कि वो
सुकून तेरी
इन नशेमन
निगाहों में पा
लेंगे।।
@writersmesh-
रश्क़-ए-ग़ुल या रश्क़-ए-ग़ुलशन, बोल तुझको क्या लिखूं,
है अजब सी यार उलझन, बोल तुझको क्या लिखूं।
है भिगोया मुझको तूने अपने आब-ए-हुस्न से,
बहता दरिया या कि सावन, बोल तुझको क्या लिखूं।
दिल चुरा कर रख लिया है तूने अपने पास ही,
चोर, ठग या कोई रहज़न, बोल तुझको क्या लिखूं।
लापता मेरा पता है, तुझमें हूँ रहने लगा,
अपना हुजरा या नशेमन, बोल तुझको क्या लिखूं।
उस ख़ुदा की सबसे दिलकश जैसे हो तख़्लीक़ तू,
सोना, चाँदी या कि कुंदन, बोल तुझको क्या लिखूं।-
यूँ ही नहीं रौशन करने वाला चराग़ नशेमन को जला देता
कुछ तो साजिश हवाओं की भी होती होगी।।।।।।
©shivimishra-
जब जब भी आती है तेरी याद
नशेमन पे गिरती हैं बिजलियां
याद तेरी ना जाए
तो मैं क्या करूं
-