सारे जहाँ में ना होगा कहीं,
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं।
तुम्हें देख के यूं लगता हैं जैसे
मिला बे-सहारे को सहारा कोई
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं
मैंने तुम्हें जब से चाहा तो जाना
तुम हो तो मैं हूँ वर्ना नहीं
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं
मैंने तुम्हें अपना माना हैं जब से
तब से मुझे खुद का होश भी नहीं
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं
तुम मिल गए हो तो यूं लगता हैं
झरने को जैसे मिली हो नदी
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं-
दिल में जो...
कल-कल है बहती...
दर्द भरी एक...
गमगीन नदी है...
इस दौर में मोहब्बत...
की उम्मीद ना करो...
यह पुरातन जमाना नहीं,...
इकसवीं सदी है...-
मैं कागज की कश्ती, वो एक विशाल नदी सी साहब,,,,
मैं ढूंढूं उसका किनारा, वो ढूंढे अपना समंदर....!!!!!!!-
जैसे
नदी का ठिकाना समुद्र में,
वैसे,
मेरा ठिकाना ताउम्र तुम्हारे दिल में।-
कभी एक न होने वाले
नदी के दो किनारे
धरती के दो छोर
बिछड़े हुए दो प्रेमी
बाहरी तौर पर
कभी न मिल पाने वाले
अंदरूनी
एक डोर से बंधे हैं
नदी की बीचोबीच तलहटी
उसके दोनो किनारों को
एक कर नदी को स्वरूप देती है
धरती के दोनो छोर
जुड़े हैं धरती के बीचोबीच
उसके अंदरूनी कोर में
असीम ऊर्जा के साथ
नए सृजन की
हजार संभावनाओं में घिरे हुए
बिछड़े हुए प्रेमी भी
कहां
कभी बिछड़ पाते हैं
अंतर्मन में एक डोर
बंधी छूट जाती है
जो प्रकट नही है ।
हम जानते हैं बस तो
कभी न मिल पाने वाले
नदी के दो किनारे
धरती के दो अलग अलग
सुदूर ध्रुव
और प्रेम में बिछड़ गए
दो प्रेमी ।
-
मैं नदी थीं , नदी सा समर्पण किया
तुम लहर थे छू कर जुदा हो गए
मैं सदी थीं ,सदी सा समर्पण किया
तुम पहर थे छू कर जुदा हो गए-
अवसान की सांझ
लौटते हुए
आंखो के सामने
जीवन चलचित्र
की अठखेलियों में
मद्धम सुर लोरी गाते
चांद मेरे सिरहाने बैठा है
आसमानी रंग की तितली
मेरी पलकें सहला गई
दरख्तों की खुरदरी बाहों में
झूलते मैंने जुगनुओ को थाम
स्याह रातों को गले से लगाया
सपनों के ज़ीने उतरती चढ़ती
फिसलती रही पहाड़ी नदी के साथ
और समा गई सदियों पुराने
तपस्वी तुंग हृदय में
जगाया नींद से फूलों ने
धर के माथे पर बोसा
और मैं मुस्कुरा दी
हां मैने ताउम्र प्रेम किया है
पहाड़ों से , चांद,
नदियों और समंदरो से
पेड़, फूल, चिड़ियां,
जुगनू, तितली, बारिश
और ...
और किससे?
उससे
जिसे मैंने जिया इन सब में।-
यूँ बहा दिया है दिल को नदी की धारा के साथ
जहाँ तुम रहते थे वो जगह अब रेगिस्तान है-
مجھکو زخمی کر نہیں سکتا کوئی
میں ندی کا چاند ہوں پتھر نہیں لگتا مجھے
Mujhko zakhmi kar nahi sakta koi
Mai Nadi ka chaand hun
Pathhar nahi lagta mujhe..-