पूछ रही है गर्द के पीछे की तस्वीर
क्या सहरा में सबको बिछड़ना पड़ता है ?-
हम तो ताउम्र उनके मुन्तज़िर होने को तैयार थे जनाब,
मगर उनकी इम्कान-ए-दस्तक ही 'ना' के बराबर निकली ।-
एक सवाल ख़ुदा से
कल मुझे मिला ख़ुदा
तो मैंने उससे पूछा ये
मुझे तो बस तू ये बता
है दर्द क्या बिछड़ने का
किसी से भी, किसी से भी, किसी से भी
कि जाने क्या हुआ उसे
वो चुप रहा, वो चुप रहा, वो चुप रहा
खुले जो उसके लब वो फिर
तो नाम था बस एक ही
आदमी ...आदमी ...आदमी ...-
रुक सा गया कारवां हमारे इश्क़_ए_रूह का...
मुन्तज़िर हुआ दिल उनके इज़हार_ए_मोहब्बत का❣️❣️❣️-
तो बच्चे करके ये फ़ायदा है, यकीं बराबर बना हुआ है
वो खा रही है तमाम कसमें, तमाम मैं भी तो खा रहा हूँ
-
कभी मौका तो दीजिये...कभी दस्तक तो दीजिये...
कभी आइये तो आप... मेरी भी देहली पर...
बड़ा मुंतजिर हूँ मैं...तुम्हे ज़न्नत दिखाऊंगा...🙅
किसी शाम किसी रात..."आओ हवेली पर" ।।
😎 Aaaaouuu😂-
मायूस होता हूँ पर अब बह नहीं पाता
मुझे लगता है अब मैं दर्द सह नहीं पाता
मिरे सामने से गुज़र जाते हैं चाहने वाले
पर मैं उनके दिल में कभी रह नहीं पाता
क़ल्ब के टुकड़े होते दिख रहे हैं अब मिरे
इकट्ठे तो कर लिए पर कहीं रख नहीं पाता
सोचता हूँ अपना दिल देकर देखूँ किसी को
करीब चला जाता हूँ पर कुछ कह नहीं पाता
ज़िन्दगी तू ही बता तिरा अब मैं क्या करूँ
साँस लेना चाहता हूँ पर अब लय नहीं पाता
"कोरा कागज़" हूँ ये बताना चाहता हूँ सबको
अल्फाज़ बहुत हैं पर कलम में मय नहीं पाता।-
Ek par Naam e Ilahi toh ek par Naam e Muhammadﷺ
Garr kardu mai apne Qalb ko do hissu mai taqseem...!!-
निघाएं, एक ऊंस का मुंतजिर है, अफरीन कि मुलाक़ात में,
हर्फ - दर - हर्फ लिख रहा है, एक रूहानियत का नाम, सुकून के इंतजार में।।-
Jannat ke muntazir na raho balki aamaal aise karo ki jannat khud aapki muntazir ho.
-