Haan Main baarish hu,wo baarish jiski bheeni si khushboo logo ka mann door se hi machlati hai, wo hawa jo sabko bhaati hai,aur wo badli jo logon ka dil dhadkati hai,han main wahi baarish hu jo kabhi hasati to kabhi rulati hai,wahi baarish jo mitti ko bhi sulati hai,yun toh baarish sabhi ko pasand aati hai lekin kabhi kabhi palkain bhi bhiga jati hai, pata hai Mujhe ki log mujhpar aitbaar nhi karte par inhe kaise samjhau ki yun kisi ko badanaam nhi karte.....beshaq maloom hai mujhe ki main logon ko unki mohabbat yaad dilati hu lekin kya kabhi kisi ne ye mahsoos kiya hai, ki main bhi kisi ko chahti hu,toh chalo aaj main bhi batati hu ki main uss mitti ko chahti hu jiske liye main asmaan se itna neeche gir jaati hu, han main iss zameen ko chahti hu shayad isiliye toot kar boond me bikhar jaati hu...
-peehu...
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मुझे अपने अस्तित्व में ढलना सिखाया है
हां, जैसे मुझ कच्ची मिट्टी को उसने
अपने हाथो से बनाया है।
मेरी हर कमी को उसने
बखूभी सुधारा है
यहां उसने एक शिक्षक का
भी फ़र्ज़ निभाया है।
मेरे ज़रा से दुःख में
उसने अपना प्यार लुटाया है
मुझे उसने माँ का भी प्यार दिखाया है।
मेरी ठोकरों पर ,
मुझे विश्वास दिलाया है
एक पापा की तरह
मुझे सख्त बनाया है।
मेरी सुरक्षा पर उसने
कोई जोखिम नहीं उठाया है
भाई बनकर भी उसने प्यार जताया है।
हाँ,
उसने मुझे अपना अस्तिव बनाया है,
एक कच्ची मिट्टी को उसने अपने हाथो से बनाया है।-
जीते जी, रोज़ हमें,
मिलाया गया, मिट्टी में,,
हुए जिस दिन, ख़ालिस मिट्टी,
कंधों पर उठाए गए..
©drVats
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गोरी गुरूर तुम करो...
अपनी अदाओं पर...
अपने हुस्न पर...
हम तो महज मुसाफिर है...
मांँ के गर्भ से शुरू हुए...
मिट्टी के आगोश में खत्म होंगे...-
तुम्हारा एक दिन यूँ अचानक मिलना
फिर ज़िन्दगी में आना
भूला कर दुनिया तुम्हारे प्यार में खो जाना
ये इत्तेफ़ाक़ नहीं रज़ा है खुदा की
तुम मुझ में यूं समाने लगे ।
जैसे दो ज़िस्म एक जान ।
या यूं कहो बहुत समय बाद मिट्टी
को बारिश नसीब हुई।-
हम हैं मुसाफ़िर...
वक्त हम सफर है...
रास्ते हजारों हैं...
पर मिट्टी ही मंजिल है...-
माटी का कर्ज़दार मकानों में बीमार रहा
गाँव में शहरी और शहरों में 'गंवार' रहा-
जिस्म अपना ही बोझ उठाते थक जाएगा...
सांसो की कश्ती भी डूब जाएगी...
एक दिन ऐसा भी होगा यारों...
यह मिट्टी की हस्ती मिट्टी में मिल जाएगी...-
नये-नये इश्क़ में ख़्वाब इत्र की तरह महका करते है
ज़नाब!....🦋
मोहब्बत ही नही हर नये रिश्तें की चमक फ़ीकी हो जाती है
जब रिश्तें धीरे-धीरे पुराने होने लगें वहीं रिश्तें पीछे छूट जाया करते है..!!-
लोग भी कितने अजीब हैं,
मिट्टी का शरीर है और 'सीमेंट' का मकान चाहते हैं।-