❣️हां नाज़ुक हु मैं, नाज़ुक है मेरे जज़्बात भी, न उलझनें की कोशिश कर अब हमसे, न आज़मा मेरे सब्र का हौसला, जो टूट गई इस बार, तो खुद तो बिखर जाऊंगी, मगर तुझे भी चुभ जाऊंगी, अब शीशे की तरह...❣️
फिसलकर, सड़क के गड्ढो में, गिराकर, उठाने वाले हाथों में, रुलाकर, हंसाने वाली बातों में, भटकाकर, किनारे पर लाने वाली कश्ती में, हर पहलु दिख ही जाती है, ज़िन्दगी के आईने में।