गुनाह आपका का नहीं , जनाब उस मज़ार का है ।
जहां पहली दफा मुलाक़ात हुईं , उस दीदार का है ।-
होने लगी है और किसी की,
तू अब मेरी न होगी।
मेरे दिल में अब यादे,
तेरी दफ़न होगी।
बन कर दिल मेरा "ताजमहल"
तेरी यादों की मजार होगी।
😑💔
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लैला मजनु की मज़ार पर मन्नत ना माँगना
वो ईमान था जिसने एक दूसरे जे लिए जान दे दी
आज आशिक और आशिकी एक दूसरे की जान
के प्यासे हो जाते है-
रोये थे ये सब भी नामुराद इश्क़ पर कभी तुम अपना रोना छोड़ दो,
सोयें हैं ख़ामोशी की चादर ओढ़ ये मज़ार, इन्हें चुपचाप सोने दो
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जिन्दा जिस्म की कोई अहमियत नहीं है,
......
मजार बन जाने दो मेले लगा करेगे..!!-
चडा कर मजा़रो पे फ़ूलों की चादर
तुम्हें माँग लेंगे दयारे वली से
खुदा खूब रखता है इज़्ज़त हमारी
नहीं होगी रुस्वाई उसकी गली से-
अरमान सारे सीने में दफन करके बैठे है,
वो आते नहीं चौखट पे तो हम मजार बनके बैठे है
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अरमान तमाम उम्र के सीने में दफ़न है..
हम चलते फिरते लोग मज़ारों से कम नहीं...-
मुक़म्मल होती जो मोहब्बत मज़ारों में बंधे धागों से,
इस दुनिया मे कोई बेवफ़ा न होता।-