QUOTES ON #MASOOMIYAT

#masoomiyat quotes

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10 OCT 2020 AT 23:42

मोहब्बत में यक़ीन रखने वालो में से हूं मैं, दो पल की इश्क़ में फिसल नहीं सकता,
सिर्फ तेरी मासूमियत पे फ़िदा हूं मैं, हुस्न की चाहत में ज़रा भी पिघल नहीं सकता;
भरोसा रखोगी तो हर पल, आखिरी सांस तक साथ निभाऊंगा तेरा,
तेरी इज्ज़त में थोड़ा साथ ठहर सकता हूं मैं, किन्तु खुद को झुका कभी बदल नहीं सकता ।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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29 MAY 2021 AT 9:18

मासूम चेहरा, फरेबी निगाहों और लबों पे मुस्कुराहट है,
दिलों को छू रूह तक जाए... ऐसी इस दिल की आहट है..!!

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18 APR AT 17:43

मोहब्बत चेहरे से नहीं रूह से करनी चाहिएं________!! चेहरे की मोहब्बत ढल जाती है इश्क़ रूहानी होना चाहिए_______!! जो हमारी रूह के साथ हर वक्त लिपट के रहे________!! महबूब वही जो हमारी सांसों की तरह हमारी सांसों में आता जाता रहे________!! तब जाकर इस जहां में मोहब्बत को एक मुकम्मल मुकाम मिलता है________!!

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20 JUL 2021 AT 10:36

ए रात थोड़ा तो आहिस्था आहिस्था गुजर
सुबह देखते ही क्या गुजरेगी इस दिल मैं..
जनाजे को भी कांधा देने जाना हैं मुझको
क्या क्या बताऊं तुझको ईतनी जल्दी मैं...

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10 JUN 2020 AT 21:33

लहजे में
नादानियाँ
अच्छी होती हैं ,
लेकिन
इतनी भी नहीं,
कि कोई भी तेरा
इस्तेमाल करे
और तुझे
खबर तक ना हो..!!!!

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10 OCT 2019 AT 20:29

फरेब साफ झलक रहा था उनके मासूम चेहरे पर,
और उन्हे लगा कि बडी़ ही सफाई से झूठ बोल रहे हैं हम।

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27 NOV 2023 AT 10:41

पतली रस्सी के ऊपर करतब दिखा रही है
उलझी ज़िन्दगी का सही मतलब बता रही है

हाथों में सिर्फ एक लाठी का सहारा लेकर
अपने मासूम से बचपन को मुँह चिढ़ा रही है

ख़ुद खेलने और पढ़ने की उम्र है इसकी पर
अपना रास्ता ये स्कूल से अलग बना रही है

दो वक़्त की रोटी और हालात के वज़ह से
अपने सपनें और ख़्वाहिश भुला रही है

ये काम करना जरुरी है क्यों की मज़बूरी है
यूँ ही नहीं ये घर में अपना हाथ बटां रही है

ज़िम्मेदारी भी किस कद्र शोर करने लगा है
अपना हुनर ये बीच सड़क पर दिखा रही है

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27 OCT 2021 AT 15:03

"एक दौर इम्तिहानों का"

इस कद़र परेशां करने लगी हैं ये मासूमियां
अब थोड़ी सी चालाकियां भी कर लें क्या?

थक चुके हैं दफ्न करके दिल में एक समंदर
अब इन आंखों से थोड़ा दरिया बहा दें क्या?

चुभने लगी हैं अब ये खामोशियां सभी को
सब्र भुलाकर अब थोड़ा-सा चीख लें क्या?

शिकवा करें भी तो किससे क्या शिकवा करें
बेहतर है ख़ुद ही पर इल्ज़ाम लगाना क्या?

ए खुदा! हम सब्र रख लेते हैं हर इक दफा
अब सिलसिला-ए-इम्तिहान खत्म करोगे क्या?

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10 SEP 2020 AT 22:01

मासूम सी मुस्कान और रूह का सुकून छीन गई !!
बचपन की मोहब्बत, जवानी का जुनून बन गई !!

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8 FEB 2021 AT 17:39

मासूमियत किरदार में नजर आती है
अदाकार में नहीं।

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