Jitna Mushkil Safar Utni Hi Khubsurat Manzil❤
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अंधेरों से क्या शिकायत करना
गर उजाला होता भी तो क्या होता
तू मेरी तकदीर में ही नहीं था
गर दुआओं में होता भी तो क्या होता
उम्मीद बर आना मुश्किल था
गर तेरा इंतज़ार होता भी तो क्या होता
सदा- ए- दिल ही न सुन सका
नज़रों का इशारा होता भी तो क्या होता
लिखा था नसीब में फासला
गर तू करीब होता भी तो क्या होता
तेरी मंज़िल तो कोई और है
तू मेरा हमसफ़र होता भी तो क्या होता
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Jo chaha tha maine kabhi, woh aaj mujhe hasil nhi....
Jisse paane ke liye thama tha saath raaha ka, wahi meri manzil nhi....-
मंज़िल के खयालों की गिरफ्त बहुत खूबसूरत है जनाब,
लेकिन हमसफ़र के साथ सफ़र का अपना ही एक नशा है ।-
मंज़िल तो आ ही जाएगी एक न एक दिन जनाब,
आज ज़रा रुक कर इन राहों के हालात जान लेते हैं ।-
सफर उसका तन्हा था मंजिल सामने खड़ी थी
एक चल ना सका वो कहता किस्मत रूठी पड़ी थी-
सफ़र का हसीन होना ज़रूरी है,
केवल दीवानगी काफी तो नही
मंज़िल खुशनुमा बनाने के लिए!-
Bdi Umeed Se Chale Toh The
Manzeelon Ki Taraf !
Mgr
Yeh Baat Bhool Gye Ki
Banzaaro Ke Raaste Hote Hai
Manzeelein Nhi !!-
मेरे मंजिलों का शहर कुछ इस कदर रूठ गया।
जिसका भी थामा हाथ वो आगे चलकर छुट गया।
मैं गमों का समन्दर पार करता भी कैसे।
कभी कस्ती टूट गई तो कभी दरिया सूख गया।-