हल्दी कुमकुम से रंगा मेरा दामन
बांधी गयी तुम्हारी बलिष्ठ बांह में।
हावाओं से जब उड़ा मेरा आँचल
अंगीकृत किया निविड़ पनाह में।
आलिंगनबद्ध लीन तेरे अनुराग में
भाग्य खुला पीले सूत अभागे का।
पावन पीपल की शाख में बँधकर
सम्मान मिला मन्नत के धागे का।-
Ek mannat ka dhaga bandha hai,,
Ab jab rishta judd gaya hai to,,
Ab kabhi na tootne ki dua mangi hai,,
Chahe paas ho na ho,,
Pr hammesha saath Rehne ka wada
ek dusre se kiya hai,,
Chahe yeh jism mile na mile,,
Humari ruh ne ek dusre ko,,
Saat janmo tak ek dusre ka banaa liya hai..!! ❤❤-
तुम हो तो........
तुम ही रहो मेरी जन्नत,
यही तो मांगती हूं हर रोज मैं, मन्नत।
सिंदूर सिर्फ तेरे ही नाम का हो,
तेरे अलावा कोई और मेरा राम ना हो।
गलहार मैं भी,सिर्फ तेरे नाम के मोती पीरे हों,
सातों जन्म सिर्फ,तुम ही मेरे प्यार के जाम से घिरे हों।
आज की इस चांदनी से,मांगती हूं ये दुआ,
तेरे-मेरे रिश्ते से अब,दूर हो गम का धुंआ।
तू मेरा है,मैं तेरी हूं ...….
सात जन्मों का ये रिश्ता,
बस आगे ही बढ़ता चला जाए,
आहिस्ता आहिस्ता।
सात जन्मों तक बस तू ही रहे,
मेरी जन्नत,
यही, मांगती हूं इस चांद की चांदनी से,
मैं आज मन्नत।-
तेरे मन्नत वाले धागे की गांठ खोल रही हूँ माँ
थक चुकी हूँ एकदम दुनिया के तानों से
अब उन्हें मैं कुछ बोल रही हूँ माँ!!-
तू ख़्वाब की तरह सच्चा बहुत था,
धोखा था मगर अच्छा बहुत था,
और तू मेरा था ये गलतफहमी थी मेरी,
शायद मेरे मन्नत का धागा कच्चा बहुत था।।-
Teri mannat, ka mai,
wo tabij hu,Jise, tu
apne gale, pahanne
ka khwab, dekhti hai.-
मन्नत का धागा बाँध कर रूह को
थोड़ा आराम सा मिला वरना
दिल तो मेरा आज भी
तेरे लिए बेचैन रहता है...-